मध्यप्रदेश की साप्ताहिक घटनाओं का लेखा-जोखा, बयान, बवाल और बदहाली!


हरीश मिश्र - इस सप्ताह मध्यप्रदेश में एक संत की देह में वैज्ञानिकों ने मां नर्मदा की जलधारा का प्रवाह देखा,
... लाखों बकरों की कुर्बानी और 
एक खानदानी देह को सरेंडर का बयान देते,
और एक देह को शिलांग की घाटियों में लापता होते देखा।
    मई का आख़िरी सप्ताह, जून की पहली दस्तक ! गर्मी के साथ सियासत में सियासी बयान भी उबले।
मोदी आए, सिंदूर पर शायरी कर गए, राहुल आए, सरेंडर पर ग़ज़ल सुनाकर चले गए। दोनों नेताओं ने लोकतंत्र की छांव में आहें भरीं और किसानों की छाती पर मूंग दल कर निकल गए।
   1350 दिन से निराहार व्रत पर बैठे संत दादा गुरु की नसों में मां नर्मदा का जल प्रवाहित हो रहा है, यह अब सिद्ध हो चुका है।
एम्स और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने रिपोर्ट दी, कैबिनेट ने मुहर लगाई और देश-विदेश के वैज्ञानिक अब अध्यात्म के आगे माथा टेकने को मजबूर होंगे। ध्यान, उपवास और मां नर्मदा की जलधारा—सब एक शरीर में। विज्ञान असहज है और एक संत ने आध्यात्म की पताका फहराई।
    राहुल गांधी के "नरेन्द्र का सरेंडर" वाले बयान पर राजनीति में भोपाल से दिल्ली तक बवाल मच गया। मुख्यमंत्री मोहन यादव बोले—"इसीलिए तो पप्पू कहते हैं"
तो कांग्रेस के पवन खेड़ा ने करारा जवाब दिया—
"11 साल से 'मुक़द्दर का सिकंदर' फिल्म चल रही थी, अब 'नरेन्द्र का सरेंडर' रिलीज़ हो गई है।"
राजनीति में अब कोई नीति नहीं है, इसीलिए किसान बदहाल है।

मोहन सरकार ने निर्णय लिया, एमएसपी पर मूंग नहीं खरीदी जाएगी,
क्योंकि उसमें "मानव शरीर के लिए अनुपयुक्त पेस्टीसाइड" का इस्तेमाल होता है। पर सवाल ये है कि इन ज़हरीले रसायनों का निर्माण कौन करवा रहा है ? रोक खरीदी पर नहीं, पेस्टीसाइड निर्माण के लाइसेंस पर लगनी चाहिए। अगर मूंग में ज़हर है, तो खुले बाज़ार में कैसे बिक रही है ? जनता को बताएं,आप जनहित में नहीं खरीद रहे हैं या जनहित में ज़हर बिकवा रहे हैं ?  सरकार बनाने के लिए लोकतंत्र के के लिए "अनुपयुक्त  विधायक" खरीद  सकते हैं, तो किसानों की मूंग क्यों नहीं खरीद सकते।

   सरकार जब सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, सब कुछ ठेके पर दे सकती है,
तो चोरों ने भी चोरी का ठेका दे दिया । कोलार पुलिस ने एक ऐसे गैंग को पकड़ा जो 'ठेके पर चोरी' करता था। भोपाल का इंजीनियर अभिलाष विश्वकर्मा इस 'मिशन चोरी' का मास्टरमाइंड निकला—
नौकरी नहीं मिली, तो चोरी ही सही... पर सिस्टम से! डेढ़ करोड़ के गहने जब्त हुए हैं, वह भी "सुरक्षित सोने की संपत्ति से आपकी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करें" कहने वाली मुथुट गोल्ड लोन बैंक से। गोल्ड लोन लेकर चोरों ने बैंकाक और थाइलैंड में ऐश किए।

    आईटी, उद्योग के बाद अब मोहन सरकार ने मेडिकल और वेलनेस टूरिज्म को चुना है।
उज्जैन बनेगा "वेलनेस का वाराणसी"। 2000 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं।
अच्छा है—जब स्वास्थ्य सेवाएं ठेके पर हैं,
तो वेलनेस ही शायद बचा सके कुछ मानसिक संतुलन!
   जनसंपर्क विभाग पर हाईकोर्ट की नजर!
अब 3200 करोड़ के इमेज घोटाले की जांच होगी। पूछा जाएगा— सरकार की छवि निखरी या सिर्फ जेबें ?

  कैलाश विजयवर्गीय सच बोले—छोटे कपड़ों वाली लड़कियां अच्छी नहीं लगतीं, लेकिन भाजपा ने ओटीपी से करोड़ों सदस्य बनाकर अपने लिए मुसीबत मोल ले ली, छोटी सोच और निकृष्ट कृत्य करने वाले  सदस्य बन गए। तभी तो हाइवे पर चमड़ा कुटाई के बाद संस्कारधानी  जबलपुर में पूर्व मंडल अध्यक्ष ने होटल को ही 'चमड़ा कुटाई केंद्र' बना डाला ।

  भिंड में पत्रकार की पिटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया। सरकार को नोटिस गया। पूछा है चौथे स्तंभ को डंडा क्यों मारा ? 
झाबुआ-रतलाम मार्ग पर एक दुखद घटना हुई,ट्राले ने वैन को टक्कर मारी, एक ही परिवार के 9 लोगों की मौत, 2 घायल हुए ‌।
वहीं  मधुमक्खियों के हमले में पुलिस इंस्पेक्टर रमेश धुर्वे की मौत हो गई।
यह प्रदेश है साहब—यहां ट्राले और मधुमक्खी दोनों जानलेवा हैं। सोनम को मेघालय की घाटियों में अब भी ढूंढा जा रहा है।

    पिछले सप्ताह प्रदेश
सरकार को पचमढ़ी में,
 पवित्र नर्मदा को संत के शरीर में बहते
और ज़हरीला मूंग बाज़ार में बिकते देखी।
नेता बहक  रहे हैं, किसान सिर पकड़कर बैठा है।
मंत्रालयों में वेलनेस है, खेतों में बेचैनी
और चोरी भी ठेके पर चल रही है। कुल मिलाकर 
राजनेताओं ने पढ़ लिया, स्वार्थ सिद्धि का मंत्र! पीड़ित है किसान, 
बिखर गया है तंत्र !!



(संपर्क: हरीश मिश्र, स्वतंत्र पत्रकार | 958481578)