पत्रकारिता व्यापार नहीं, एक मिशन है, एक जुनून है अखबारों से GST को समाप्त किया जाये- MANAK AGARWAL

BHOPAL: प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मानक अग्रवाल ने कहा है कि विधानसभा और पूरे देश मे इमरजेंसी को लेकर मीडिया की आवाज दबाने और अभिव्यक्ति की आजादी खत्म करने की बड़ी-बड़ी बातें कही गयीं। दूसरी तरफ अब जीएसटी लागू होने से लघु और मध्यम भाषायी समाचार पत्रों के अस्तित्व को खत्म करने का षड्यंत्र केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा किया जा रहा है।                         

श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रिंट मीडिया की अपनी विश्वसनीयता आज भी बरकरार है। पत्रकारिता व्यापार नहीं एक मिशन है, एक जुनून है। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में प्रकाशकों और पत्रकारों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अखबार खबरों के साथ-साथ दिशा दिखाने का भी माध्यम है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग स्लैब में अखबारों से पांच से अठारह प्रतिशत तक जीएसटी वसूला जा रहा है। अखबारी कागज के दाम भी 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ चुके हैं। छपाई में लगने वाली स्याही और स्लेट पर भी जीएसटी की मार है। इस कारण कई अखबार बंद हो चुके हैं तो कई बंद होने की कगार पर हैं।   

मानक अग्रवाल ने कहा है कि पूरे देश में अखबारों और अखबारी कागज पर से जीएसटी हटाने के लिए अखबार कर्मियों और पत्रकारों ने खूब संघर्ष किया, लेकिन काई नतीजा नहीं निकला। जीएसटी के कारण अखबार बंद होने से मालिक तो दूसरे धंधे में आ जायेंगे, लेकिन उन लाखों पत्रकारों और अखबारकर्मियों के सामने रोजी-रोटी का बहुत बड़ा संकट खड़ा हो जायेगा। 

श्री अग्रवाल ने कहा कि देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त और 26 जनवरी पर छोटे और मंझोले अखबारों को देश की सरकार ने विज्ञापन देना बंद कर दिया है। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से मांग की है कि इन परिस्थितियों में इन अखबारों को जिंदा रखने के लिए उन्हें सरकारी विज्ञापन दिये जायें। साथ ही समाचार पत्रों और उस पर लगने वाली अन्य सामग्री पर से जीएसटी तत्काल हटाया जाये।