INDORE का पोहा सिर्फ स्वाद नहीं, हमारी पहचान है! पिज़्ज़ा-बर्गर छोड़ो, पोहा खाओ- सेहत भी बनेगी और स्वाद भी मिलेगा- कैलाश विजयवर्गीय

- राजेश जयंत / इंदौर।अगर सुबह-सुबह इंदौर की गलियों में घूमो, तो हर नुक्कड़ पर "पोहा-जलेबी ले लो" की आवाज़ सुनाई देती है। इंदौर का पोहा सिर्फ नाश्ता नहीं, बल्कि एक जश्न है- और अब तो इसका अपना इंटरनेशनल डे भी है!

*क्यों मनाते हैं पोहा दिवस..?*  
सोचिए, एक ऐसा डिश जो हर उम्र, हर वर्ग और हर मूड के लिए परफेक्ट है- वो है इंदौरी पोहा! हल्का, टेस्टी, हेल्दी और जेब पर भी भारी नहीं। यही वजह है कि 7 जून को इंदौर वाले बड़े गर्व से 'विश्व पोहा दिवस' मनाते हैं। इस दिन राजवाड़ा पर फ्री पोहा-जलेबी मिलती है, और पूरा शहर एक बड़े ब्रेकफास्ट पार्टी में बदल जाता है।

*इंदौर का पोहा: स्वाद और स्टाइल दोनों में नंबर वन*  
इंदौर के पोहे में जो जीरावन मसाले का तड़का लगता है, वो कहीं और नहीं मिलता। ऊपर से हरी मिर्च, अनार के दाने, सेव और नींबू-बस मुंह में पानी आ जाए! इंदौर का पोहा खाने के बाद लोग अक्सर कहते हैं, "भैया, ऐसा स्वाद तो कहीं नहीं मिला।"

*कैलाश विजयवर्गीय का पोहा प्रेम*  
अब बात करते हैं कैलाश विजयवर्गीय की, जिनका पोहा प्रेम किसी से छुपा नहीं है। इस बार भी वे राजवाड़ा पर पोहा दिवस मनाने पहुंचे, पोहा-जलेबी खाई और बोले, "पिज़्ज़ा-बर्गर छोड़ो, पोहा खाओ-सेहत भी बनेगी और स्वाद भी मिलेगा।" उनका वीडियो वायरल हो गया, जिसमें वे इंदौर के पोहे की तारीफ करते नहीं थकते। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि अमेरिका, जापान, कनाडा—कहीं भी पोहा खाया, लेकिन इंदौर जैसा स्वाद कहीं नहीं मिला!

*पोहा: सिर्फ खाना नहीं, एक इमोशन*  
इंदौर का पोहा लोगों को जोड़ता है, दोस्ती बढ़ाता है और हर सुबह को खास बना देता है। पोहा दिवस पर हर कोई यही कहता है- "इंदौर आया और पोहा नहीं खाया, तो क्या किया!"
तो फिर दोस्तों अगली बार जब इंदौर जाएं, पोहे की प्लेट जरूर ट्राय करें- क्योंकि ये सिर्फ नाश्ता नहीं, इंदौर की पहचान है।