How to decide compensation and Insurance of housewife: High Court decision

नई दिल्ली। पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि हाउसवाइफ की तुलना हाउसमेड से नहीं कर सकते। एक परिवार के लिए महिला का महत्व क्या होता है इसका आकलन नहीं किया जा सकता। यह अमूल्य है। उसकी इनकम या मुआवजे की गणना करते समय उसे हाउसमेड के बराबर नहीं समझा जा सकता। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने सड़क हादसे में जान गंवाने वाली महिला की मौत पर मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल द्वारा तय मुआवजे की राशि 1,17,500 को बढ़ाकर 5,56, 000 रुपये कर दिया। 

मामला क्या है

चंडीगढ़ के पत्रकार श्री दयानंद शर्मा की एक रिपोर्ट के अनुसार हादसा लुधियाना में हुआ था। स्कूटर को ट्रक द्वारा टक्‍कर मारने से महिला की मौत हो गई थी और उसका पति घायल हो गया था। बाद में पति ने मोटर व्हीकल्स एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में मुआवजे के लिए अर्जी लगाई। याची अपनी पत्‍नी के साथ जा रहा था, तभी एक ट्रक ने उसके स्कूटर को टक्कर मार दी। टक्कर से वह दूर जाकर गिरा और पीछे बैठी उसकी पत्‍नी ट्रक के नीचे आ गई ।

ट्रिब्यूनल ने क्या फैसला दिया था

उसकी अर्जी पर ट्रिब्यूनल ने महिला की मौत के पर मुआवजे की गणना के लिए घरेलू सहायिका को होने आय दो हजार रुपये मासिक के आधार पर 1,17,500 रुपये मुआवजा तय किया। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट की शरण ली। उसकी याचिका का विरोध करते हुए बीमा कंपनी ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने आय का आकलन सही किया है। इससे ज्यादा होने पर यह न्यूनतम मजदूरी से ज्यादा हो जाता है। महिला गृहिणी थी और सिलाई का काम करती थी उसकी आय दो हजार रुपये मानना उचित है।

हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले फार्मूले को गलत क्यों माना

हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल द्वारा अपनाए गए फार्मूले और बीमा कंपनी की दलील से असहमति जताते हुए कहा कि यह गृहिणी और पीडि़त परिवार के साथ भद्दा मजाक है। गहिणी अपने पति, बच्चे और पूरे परिवार का ध्यान रखती है और 24 घंटे घर के लिए समर्पित रहती है। अपनी सेवाओं के दौरान वह स्वयं अपना भी ध्यान नहीं रख पाती। गृहिणी का योगदान अमूल्‍य होता है और उसकी आय के मामले में घरेलू सहायिका (House maid)  से तुलना नहीं की जा सकती है। हाई कोर्ट ने फैसला किया कि एक गृहिणी, जिसकी कोई आय नहीं है, उसकी मौत पर House maid की आय के मुताबिक पीडि़त परिवार के लिए मुआवजा तय नहीं किया जा सकता।