सरकार के अस्थिरता का फायदा उठा रहे है SIDHI के खजिनज माफिया

रामबिहारी पाण्डेय,ब्यूरो सीधी। जिले में रेत का काला कारोबार कहीं लायसेंस लेकर तो कहीं बिना लायसेंस के ही धड़ल्ले से जारी है। रेत का यह काला कारोबार प्रशानिक अमले की भी काली कमाई का जरिया बना हुआ हैए शायद यही वजह है कि जिले का प्रशासनिक अमला इस काले कारोबार को बंद करने में खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। जहां एक ओर सोन नदी में रेत उत्खनन व परिवहन पर रोक नहीं लग पा रही है वहीं दूसरी ओर रेत की वैध खदानों में भी नियमों को दरकिनार कर बीच नदी में टू.टेन मसीनों के माध्यम से धड़ल्ले से रेत की खुदाई की जा रही है जिससे नदियों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है वहीं राज सरकार ने पंचायतों के माध्यम से रेत खदान की मंजूरी देकर नदियों का अस्तित्व समाप्त करा रहा था जैसे ही सरकार संकट मे आई है वैसे ही पंचायती खदानों पर भी संकट छा गया है सरकार ने संचालित रेत खदानों के संचालन पर रोक लगा दी गई है जिससे सीधी जिले में खनिज माफिया रेत की किल्लत शुरू होने की अफवाहे फैलाकर मनमानी दाम वसूलने लगे है चोरी की रेत महंगे दामों में बिक्री कर रहे हैं जरूरत मंदों को दुगने तीगुने दाम पर रेत खरीदना पड़ रहा है। बता दें कि राज्य सरकार ने अपने नुमाइंदों को फायदा पहुंचाने के लिये सीधी जिले की पंचायतों को रेत सहित तमाम खदानों के संचालन की मंजूरी प्रसाद की तरह बांटा है हां खदानों को संचालित करने के लिये पोर्टल बनाया गया है जिसका संचालन भोपाल से किया जाता हैै।जिसका दुरूपयोग सीधी जिले खदान संचालक करने मे हिचक नही करते थे जिसे देखते हुए बीते दिनों शासन ने पोर्टल को बंद कर दिया है जिसके कारण रेत खदानों के संचालकों को टीपी नही मिल पा रही है जिससे संचालकों मे हड़वड़ी तो है पर पहले से ही अधिकारियों का समर्थन लेकर बिना पिटपास के रेत का उत्खनन व परिवहन करा रहे है पुलिस और खनिज विभाग के अधिकारी जानकर भी रेत परिवहन करने वाले वाहनों को पकड़ने व कार्यवाही करने की सोच ही नही रहे है। जवकी वही लोग रेत खदानों से पोर्टल बंद होने के बाद भी रेत का उत्खनन व परिवहन धड़ल्ले से किया जा रहा है हां यह धंधा वही कर रहें है जिनकी पुलिस व खनिज अमले से पुरानी सेटिंग है तो दिये जाने वाले कमीषन की दर दुगनी हो गई है अव इसी सौदे के आधार पर पोर्टल बंद होने के बाद भी रेत का उत्खनन व परिवहन किया जा रहा है  नदी के बीच में एक दो नहीं बल्कि आधा दर्जन टू.टेन मसीनों के माध्यम से रेत की खुदाई लगातार जारी है। रेत कारोबारी नदी का सीना चीरकर रेत का उत्खनन करने में व्यस्त हंै। जबकि खदान संचालन की अनुमति की शर्तों के अनुरूप जेसीबी या टू.टेन जैसी मसीनों से रेत का उत्खनन नहीं किया जा सकता है बल्कि श्रमिको से रेत का उत्खनन कराना है। हालांकि इसकी जानकारी जिले के जिम्मेदार प्रशानिक अमले को भी है लेकिन प्रशासन जानबूझकर अंजान बना हुआ है। 

दर्जन भर खदानों में चल रहा सफेद सोने का कालाकारोवार 

जिले में संचालित लगभग चैदह खदानों के साथ साथ सोन बनास महान गोपद नदियों से रेत का खनन किया जा रहा है कहने को पोर्टल बंद है पर उत्खनन और परिवहन बंद नही हुआ है चतुर सुजान गोतरा खदान के संचालक तो छत्तीसगढ़ प्रांत की खदानों की टीपी जारी कराकर वाहन चालकों को थमा कर रेत का उत्खनन करा रहें है। यही हाल बजरंगगढ़ के खदान संचालक भी इसी नीति पर रेत का कालाकरोवार कर रहे है। बताया गया है कि सरकार ने पोर्टल बंद कर रेत के कारोवार पर रोंक लगाने का प्रयास कर रही है पर सीधी जिले के बहरी तहसील अंतर्गत बारपान डोल व भरूही तथा मझौली तहसील के निधिपुरी व कुसमी तहसील के गोतरा रेत खदान रामपुर नैकिन के हुनमानगढ़ तहसील के बंजरंगगढ़ से रेत का उत्खनन व परिवहन किया जा रहा है रेत माफियाओं को प्रषासनिक अधिकारियों के साथ साथ राजनैतिक व रसूखदारों का संरक्षण मिला हुआ है जिसके नियमों को दरककिनार कर मसीनों से उत्खनन कर ब्यापार कर रहे है जिनपर नकेल नही कसी जा रही है।

अदालत की शरण मे रेत के संविदाकार 

पंचायतों के माध्यम से रेत का उत्खनन व परिवहन कराकर मांेटी रकम कमाने के बाद मध्य प्रदेष सरकार ने ठेकेदारों के माध्यम से रेत निकासी कराने की योजना सत्ता मे आने के एक साल बाद बनाई जिसके लिये निविदा बुलाई लेकिन अधिकारियों के माध्यम से कम बोली लगाने वालों को ठेका दे भी दिया गया इसके लिये बनाये गये मापदण्डों का पालन नही किया गया और पंचायते खदान ठेकेदारों को सौंपने को राजी भी नही हो रहे थे लिहाजा ठेकेदारों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटा दिया है मामला विचारधीन होने का फायदा रेत के कारोवारी उठा रहे है।

कार्रवाई के नाम पर मोटी रकम की अपेक्षा 

 जिले की रेत खदानों के देख रेख कर रहे जिला खनिज अधिकारी क्यूए रहमान पंचायतों को आवंटित रेत खदानों व खनिज विभाग की खदानों के संचालन के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे है पहले छापामार कार्यवाही कर अबैध खदान चलाने का आरोप लगाकर धौंस देते है फिर अपने मातहतों के माध्यम से सौदा कर मोटी रकम पाते ही फिर संचालित करा देते है इसका उदाहरण मरसरहा खदान सहित निधिपुरी खदान में हुई कार्यवाही से लिया जा सकता है अव देखिये न खनिज अधिकारी ने स्वीकार किया कि खदान से रेत निकासी की मिलने वाली अनुमति टी पी पास देने के लिये सरकार ने 7मार्च से पोर्टल बंद कर दिया है पर हो रहे उत्खनन परिवहन पर रोंक लगाने का प्रयास तनिक भी नही कर रहे है खनिज अधिकारी के रहमों करम पर सरकार को राजष्व की छति उठानी पड़ रही है तो नदियों का बजूद समाप्त हो रहा है हां अधिकारी खनिज कर्ता मोटी रकम जरूर कमा रहे है।

 कहां कितनी रकवे की थी मंजूरी 

 खदान .  रकवा      खोदा कितना
बजरंगगढ़. 4,680 हे  10 हेक्टर से ज्यादा
डोल      4,250 हे   30 हेक्टर से ज्यदा
भरूही    4,800 हे    28 हेक्टर के आसपास
खुटेली    2,240 हे      9 हेक्टर से ज्यादा
बारपान   9,700 हे      35 हेक्टर के लगभग
गोतरा    11,00 हे       3 किलों मीटर से ज्यादा की नदी साफ
निधिपुरी  5,00 हे       18 हेक्टर के लगभग
ओदरा   1,450 हे        7हेक्टर से ज्यदा
मरसरहा  1,750 हे      10 हेक्टर के लगभग दो वार कार्यवाही इसका प्रमाण
ओदरा उर्फ उदरा. 1,300 हे  13 हेक्टर से ज्यादा में उत्खनन किया गया है पोर्टल बंद होने के बावजूद धड़ल्ले से खनन व परिवहन किया जा रहा है।