कमल याज्ञवल्क्य , बरेली (रायसेन)। रायसेन जिले सहित मालवा-नर्मदा अंचल के गांवों में गुरुवार को हरियाली अमावस्या पर पारंपरिक उल्लास देखा गया। इस अंचल में यह दिन ‘हरि ज्योति’ या हरियाली अमावस्या के नाम से प्रसिद्ध है। श्रावण मास की अमावस्या का यह पर्व वर्षा ऋतु की समृद्धि का प्रतीक है और लोक आस्था तथा पर्यावरण चेतना से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि इस समय चारों ओर हरियाली छाई रहती है।
लोक परंपरा
हरियाली अमावस्या के दिन गांवों में ग्रामीण अपने घरों के दालानों और द्वारों के दोनों ओर गाय के गोबर से ‘हरि ज्योति’ के चित्र बनाते हैं। पारंपरिक रूप से ये विशेष चित्र या लेखन गाय के पवित्र गोबर से तैयार किए जाते हैं, जिनमें भगवान विष्णु, लक्ष्मी और शुभता का आह्वान किया जाता है। इन्हें दीवारों पर हाथों से बनाया जाता है, जिसमें पत्तियों, बेल-बूटों, दीपक या श्री अंक आदि का समावेश होता है। ये चित्र पारंपरिक होते हैं, हालांकि क्षेत्र के अनुसार उनमें थोड़ी-बहुत भिन्नता देखी जा सकती है, परंतु भाव एक ही रहता है।
महिलाएं पहले करती हैं घर की शुद्धि
गांवों में महिलाएं हरियाली अमावस्या के दिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनती हैं और घर की लिपाई गाय के गोबर से करती हैं। द्वारों को सजाया जाता है, और कहीं-कहीं तुलसी चौरा या गोशाला में भी हरि ज्योति के चित्र बनाए जाते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक विश्वास का प्रतीक है, बल्कि गोबर की जैविक उपयोगिता और स्थानीय कलात्मकता का भी सुंदर उदाहरण है। यह गाय के धार्मिक महत्व को भी दर्शाता है।
बेटियां आती हैं मायके
गांवों में परंपरा है कि इस पर्व पर नवविवाहित बेटियों को मायके बुलाया जाता है। इस अंचल में नवविवाहिताएं पहली बार मायके आती हैं और बहनों को उपहार भेजे जाते हैं। इसके पीछे यह मान्यता है कि रक्षाबंधन का पर्व पंद्रह दिन बाद आता है, और बेटी के मायके में कुछ दिन रहने से उत्सव जैसा माहौल बनता है। इस दौरान सहेलियों का मिलना-जुलना भी होता है। गांवों में मानदानों को निमंत्रण देकर भोजन कराया जाता है।
धार्मिक महत्व
हरियाली अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि भगवान शिव के प्रिय सावन मास की इस अमावस्या पर श्रीहरि विष्णु, श्रीकृष्ण और प्रकृति की आराधना की जाती है। कई स्थानों पर पूजा की पद्धतियां भिन्न-भिन्न होती हैं।
अद्भुत लोक धरोहर
कुल मिलाकर, हरियाली अमावस्या की यह ‘हरि ज्योति परंपरा’ एक अद्भुत लोक धरोहर है, जिसे सहेजने और अगली पीढ़ी को सौंपने की आवश्यकता है, ताकि इसकी प्रकृति, पर्यावरण और धार्मिक महत्व के साथ यह परंपरा जीवित रहे। यह वह समय है, जब खेतों में हरियाली देखकर किसान उत्साह से भर उठते हैं। यह पर्व सभी के लिए शुभ माना जाता है।
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