मध्यप्रदेश सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई को हिन्दी में भी करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के विरोध में कुछ वर्ग के लोग लामबंदी कर सकते हैं किन्तु असल में इस फैसले की जितनी तारीफ की जाए, कम है। यह सरकार के अंत्योदय के लिए कार्य करने की इच्छाशक्ति को भी दिखाता है जिसका अर्थ पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक सरकार के होने का लाभ पहुंचाना है।
लोकतंत्र में चुनाव का महत्व ही इसलिए है कि ऐसी सरकार चुनी जाये जो समाज में आर्थिक भिन्नताओं, भाषायी रुकावटों और जातिगत विभेदताओं को दूर करने के कदम उठाएं। आर्थिक एवं जातिगत विभेदताओं को दूर करने का सबसे सटीक उपाय है भाषायी बंधन को समाप्त कर समाज को साक्षर बनाना। कुछ वर्ग जिन्हें लगता है कि हिन्दी में पढ़ाई से विद्यार्थी वैश्विक स्तर पर प्रतियोगी नहीं रह पायेंगे उनके लिए चीन एक उदाहरण है जहां मेडिकल की पढ़ाई भी चीनी भाषा में होती है। वैसे भी सरकार की यह योजना अमरुद को ग्यावा कहने वालों के लिए नहीं बल्कि जामफल कहने वालों के लिए है।