सतेन्द्र उपाध्याय@ शिवपुरी। जिले में करैरा और पोहरी दो विधानसभा में उपचुनाव होना है। यह उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सबाल बन गया है। एक तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित भाजपा का पूरा खेमा जुटा है। वही दूसरी और कांग्रेस में कमलनाथ पुन: सत्ता में आने के प्रयास मेें कोई कोर कसर छोडने की स्थिति में नहीं है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के लिए भी कांग्रेस उम्मीदवार ढूंढने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।
क्योंकि एक ओर जहां मप्र के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ से जब कांग्रेसियों के प्रतिनिधि मण्डल ने साफ कह दिया कि वह कांग्रेस के ही प्रत्याशी के लिए काम करेंगें और किसी बाहर दल के प्रत्याशी को ना तो सपोर्ट करेंगें और ना ही उसके लिए काम करेंगें, ऐसे में पूर्व विधायक हरिबल्लभ शुक्ला ही एक ऐसे उम्मीदवार नजर आ रहे थे लेकिन पोहरी के इस कांग्रेस के प्रतिनिधि मण्डल ने प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ से साफ कह दिया कि वह हरिबल्लभ को टिकिट मिलने पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त करेंगें।
माना जा रहा है कि हरीबल्लभ शुक्ला का अभी तक के सभी सर्वे रिपोर्ट में नाम पहले स्थान पर चल रहा है। परंतु स्थानीय नेताओ के विरोध के चलते हरीबल्लभ शुक्ला को दिक्कत आ सकती है। ऐसे में पोहरी में कांग्रेस नेतृत्व की स्वीकार्यता एक ओर जनपद अध्यक्ष पारम सिंह रावत की ओर होती हुई नजर आ रही है क्योंकि वह पोहरी में सर्वसमाज में पहचाने जाते है और पांच वर्ष के अपने जनपद अध्यक्षी कार्यकाल में एक भी आरोप-प्रत्यारोप पर भी पारम सिंह रावत पर नहीं उछला।
बताया गया है कि अन्य दावेदारों को लेकर कांग्रेस नेतृत्व ने स्वयं ही नाराजगी जताई है और ऐसे में सर्वे रिपोर्ट में भी पारम सिंह रावत का नाम प्रथम पंक्ति में बताया गया है। संभावना है कि यदि कांग्रेस पार्टी ने पारम सिंह रावत को यहां से उम्मीदवार बनाया तो वह उप चुनाव में कांग्रेस पार्टी की ओर से महती भूमिका निभा सकते है। क्योंकि पारम सिंह के लिए जहां पूरी कांग्रेस पार्टी काम करेगी तो वहीं अन्य समाजों में भी पारम सिंह का सतत संपर्क उन्हें लोगों के बीच पैठ बनाता हुआ नजर आ रहा है।
अगर कांग्रेस धाकड बरर्सेज धाकड पर काम करती है तो कांग्रेस के पास एक नाम शिशुपाल वर्मा का भी उभरकर सामने आ रहा है। शिशुपाल वर्मा पोहरी विधानसभा के मूल निवासी होने के साथ साथ बीते लंबे समय से इस क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय है। अगर इस और कांग्रेस का ध्यान गया हो यह भी सुरेश राठखेडा के कांटा बन सकते है। इसके साथ ही आज कांग्रेस के दिग्गज नेता जो कि अभी तक कांग्रेस से टिकिट की दावेदारी दिखा रहे थे अरविंद चकराना वह ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलने के बाद अब भाजपा में आने का मूड बना चुके है। जिसके चलते अब धाकड समुदाय से शिशुपाल वर्मा और प्रधुम्मन बछौरा का नाम पर भी कांग्रेस विचार कर सकती है।
अगर बात पारम सिंह रावत की करें तो राज्यमंत्री सुरेश धाकड़ को भी इस चुनाव में खासी मशक्कत का सामना केवल पारम सिंह रावत से ही करना पड़ेगा जबकि अन्य दोवदारो में ऐसा कोई नहीं है जो यहां भाजपा के सत्ताधारी दल के नेताओं पर भारी पड़ सकता है। ऐसे में पारम सिंह के लिए उनके परिजन समाजसेवी जय सिंह रावत व भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) के पूर्व जिलाध्यक्ष अरविन्द रावत सहित अन्य सहयोगी व शुभचिंतकों की टीम करीब 120 गांवों में सतत संपर्क कर घर तक पैठ बना चुके है और लोगों का मत भी लिया है।
जिसमें पता चलता है कि अधिकांश लोग पारम सिंह को ही अपनी पहली पसंद मान रहे है। यदि यही हाल रहा तब संभव ही पारम सिंह को कांग्रेस पार्टी अपना उम्मीदवार उप चुनाव में बना सकती है और यहां एक और इतिहास रचने वाला नया नेता उभरकर सामने आएगा, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। अब चुनाव किस दिशा में जाएगा यह तो आने बाला समय ही बताएगा। परंतु जो भी इस बाद चुनाव बडा ही दिल्चस्प होना है।
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