वन चौकीदार के हत्यारोपियों को आजीवन कारावास व 1000 के अर्थ दण्ड की सजा

सीधी। जंगल से लकड़ी काटने को मना करने के विवाद में वन चौकीदार की हत्या करने वाले  दो आरोपियों को  आजीवन कारावास की सजा ₹1000 अर्थदंड से दंडित किया गया है। दो साल से देवसर न्यायालय में चल रहे प्रकरण की सुनवाई अपर अपर सत्र न्‍यायाधीश ओमप्रकाश रजक ने की है।

अदालत के सुनाए गये फैसलेे की जानकारी देते हुए सहांयक अभियोजन अधिकारी सूर्य प्रसाद पाण्डेय ने देते हुए बताया कि आरोपीगण जमुना उर्फ छुनकू यादव तथा माताशरण यादव निवासी ग्राम-धवई टोला सिमारी , थाना चितरंगी का विवाद मृतक राजेश प्रताप सिंह वन विभाग के चौकीदारी से  हुआ था तो  आरोपी जमुना उर्फ छुनकू यादव को जंगल की लकड़ी काटने से मना किया था । जिस कारण आरोपी जमुना ने मृतक राजेश प्रताप सिंह से मार – पीट की थी  फिर भी आरोपी का गुस्सा कम नहीं हुआ और दिनाँक 21.06.2017 को समय शाम करीब 07:00 बजे ग्राम घवई टोला सिमारी थाना चितरंगी के अंतर्गत सुब्बालाल यादव के घर के सामने आँगन में मृतक राजेश व सुब्बालाल यादव बैठकर आपस में बातचीत कर रहे थे । 

उसी समय दोनों आरोपी लाठियाँ लेकर पहुंचे  उन्हें देख मृतक राजेश भागा तो दोनों दौड़ा कर सुब्बालाल यादव के घर के सामने खेत में दोनों ने मिलकर राजेश प्रताप सिंह को लाठी से पीटकर मरणासन्न अवस्था में पहुचा  दिये मारपीट में  राजेश को  सिर, पीठ, हाथ -पैर में  चोटें आई , मारपीट की घटना सुब्बालाल यादव , ललन उर्फ मोहम्मदीन अंसारी  , ददन उर्फ मोहम्मद रमजान  ने देखी । उक्त मार पीट की घटना की जानकारी ललन ने फोन पर मृतक के परिवानजनों को दी । घटना की जानकारी मिलते ही मृतक की पत्नी वैशाली सिंह ,मृतक का पिता हरिदत्त सिंह , मृतक का छोटा भाई राकेश सिंह और पुत्र विजय उर्फ छोटू मृतक को इलाज हेतु जिला चिकित्सालय बैढ़न ले गये। 

मृतक राजेश प्रताप सिंह के इलाज हेतु जिला चिकित्सालय बैढ़न ने दाखिल होने की लिखित सूचना प्र.पी 14 अनुसार सम्बन्धित चिकित्सक द्वारा थाना प्रभारी बैढ़न को प्रेषित कर उपचार शुरू किया जहां  दिनाँक 22.06.2017 को ही उपचार के दौरान राजेश प्रताप सिंह की मृत्यु हो गई तो पुलिस ने दोनों आरोपी गणों के खिलाफ हत्या की धारा 302/34का अपराध दर्ज कर न्याय के लिए अदालत ने पेश किया जहां साक्षियों के साक्ष्य कराये गये तो आरोपियों के अपराध प्रमाणित हुआ तो विद्वान न्यायाधीश ने दोनों को आजीवन कारावास व एक हजार के अर्थ दण्ड से दण्डित किया है।