गोपाल भार्गव जी, हनी ट्रैप नाम पर डराने-धमकाने का काम नहीं करें: नरेंद्र सलूजा

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की फेसबुक पोस्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव जी की फेसबुक पर लिखी पोस्ट में उन्होंने राजगढ़ की घटना को लेकर प्रदेश के आईएएस अफसरों के बारे में कई बातें लिखी है। उन्होंने लिखा है कि उनकी पार्टी के पूर्व मंत्री बद्रीलाल यादव के कथन से एलीट वर्ग घायल है। सच्चाई तो यह है कि आपके पूर्व मंत्री की इस असभ्य टिप्पणी से पूरा महिला जगत घायल है क्योंकि एक महिला के बारे में जिस तरह की निम्न स्तरीय टिप्पणी उन्होंने की है, उसे तो सभ्य समाज कभी सही नहीं ठहरा सकता लेकिन आश्चर्य है कि इतनी बड़ी फेसबुक पोस्ट में उन्होंने उस टिप्पणी पर खेद व्यक्त नहीं किया और ना ही उनकी टिप्पणी को गलत ठहराया।

जिन आईएएस अफसरों को वह अपनी पोस्ट में देव पुरुष कह रहे हैं, यही देव पुरुष पूरे 15 वर्ष आपकी पार्टी की सरकार को भी चलाते थे, हम कोई नये नहीं ले आये और हम नहीं प्रदेश की जनता और आपकी पार्टी के लोग ही सार्वजनिक रूप से बयानबाजी करते थे कि सरकार शिवराज जी नहीं, यही देव पुरुष चला रहे हैं। यदि देव पुरुष के पास अरबों रुपए की संपत्ति मिली तो यह संपत्ति भी पिछले 15 वर्षों में ही कमाई गई है, हमारी सरकार को तो अभी मात्र 1 वर्ष ही हुआ है।

सलूजा ने कहा कि जिस हनीट्रैप और काली कमाई का आप जिक्र कर रहे हैं, वह भी आपकी 15 वर्ष की सरकार की ही देन है।श्री भार्गव लिख रहे हैं कि उनके किसी परिचित के पास 8 देव पुरुष के वीडियो उपलब्ध है तो वे एक जिम्मेदार संवैधानिक पद पर बैठे हैं।हनी ट्रैप मामले की एसआईटी जांच कर रही है। उनको तुरंत इन वीडियो को एसआईटी को उपलब्ध कराना चाहिए और यदि आपके पास वीडियो है व आप एसआईटी को उपलब्ध नहीं करा रहे हैं, इससे समझा जा सकता है कि आप यह लिखकर कहीं ना कहीं अधिकारियों पर दबाव -प्रभाव का उपयोग करना चाह रहे हैं। वे इस पोस्ट के द्वारा ईडी, आईडी और सीबीआई जैसी संस्थाओं का जिक्र कर अधिकारियों को दबाना -डराना चाह रहे हैं। वे इन अधिकारियों को सरकार की शान में 1-1 चालीसा लिखने की सलाह दे रहे हैं लेकिन उनको यह जानकारी भी होना चाहिए कि शिवराज सिंह जी की 15 वर्ष की सरकार में कौन-कौन से अधिकारी शिवराज चालीसा लिखते थे और कैसे रेंगते थे? तब गोपाल भार्गव जी मौन क्यों थे? सरकार कैसे चलती थी, यह किसी से छिपा नहीं है।