सफलता पाने का कोई समय अंतिम नहीं होता

INDORE: परीक्षा बच्चे की पर्सनालिटी, कैरेक्टर और दिमाग का एक बहुत छोटा सा परीक्षण है जो उसकी काबिलियत को कतई तय नहीं कर सकता। अगर परीक्षा में किसी के नंबर कम आते हैं तो इसका यह मतलब नहीं कि वह योग्य या काबिल नहीं है। वह दूसरे कई क्षेत्रों में बहुत आगे हो सकता है। मैं बचपन से ही कभी ज्यादा पढ़ता नहीं था और मार्क्स को भी कभी तवज्जो नहीं दी। उस समय 60 प्रतिशत मार्क्स ही बहुत बड़ी बात मानी जाती थी। हमारे समय में प्रतियोगिता बहुत कम थी। प्रथम श्रेणी में पास होने पर पूरे मोहल्ले के लिए बहुत बड़ी बात हो जाती थी।

यह कहना है शिक्षाविद् डॉ. सुमेर सिंह का। वे डेली कॉलेज, दून स्कूल जैसे बड़े स्कूलों के साथ ही इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और व्हेल्स में भी काम कर चुके हैं। नईदुनिया के अभियान 'मार्क्स से ज्यादा प्यारे हैं वो" के तहत बातचीत में उन्होंने बताया कि मैंने 11वीं कक्षा से पढ़ाई के लिए मेहनत करना शुरू की थी। इसी वजह से मुझे पूरे देश में प्रथम स्थान मिला।

दून स्कूल के बाद सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई की। कक्षा 9 में ही यह तय कर लिया था कि शिक्षक ही बनूंगा। क्योंकि मुझे बच्चों के साथ काम करना अच्छा लगता था। 1975 में हिमाचल प्रदेश के सनावर में लॉरेंस स्कूल से टीचिंग कॅरियर की शुरुआत की और 1988 में पहली बार प्रिंसिपल बना। 2003 में डेली कॉलेज जॉइन किया। डॉ. सिंह वर्तमान में नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर कई संस्थानों से जुड़े हुए हैं।

सुमेर सिंह कहते हैं कई बार जीवन में जो हम चाहते हैं वो नहीं होता, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वो समय अखिरी समय है। सफलता के लिए कोई अंतिम समय नहीं होता। वो आपके जीवन में कभी भी आ सकता है। ऐसे लोग जो शुरू से टॉपर रहते हैं वो एकेडेमिक जैसी फील्ड में तो काम कर लेते हैं, लेकिन एंटरप्रेन्योर नहीं बन पाते। अगर आप बड़ा काम करना चाहते हैं तो मार्क्स के पीछे भागने का कोई मतलब नहीं है। आज समय तेजी से बदल रहा है।

कॅरियर के नए-नए ऑप्शन सामने आ रहे हैं। अगले कुछ सालों में कई पुराने कॅरियर ऑप्शंस तो पूरी तरह समाप्त ही हो जाएंगे। इसलिए आपको मार्क्स को लेकर इतना सोचने की जरूरत नहीं है। हो सकता है आज जिन विषयों में आपके नंबर कम आए हैं आप भविष्य में उसमें कॅरियर बनाए ही नहीं। पैरेंट्स को भी अपने बच्चों पर गर्व करना चाहिए और उनके प्रयासों की हमेशा सराहना करनी चाहिए। मार्क्स के आधार पर उन्हें कभी न आंकें।