Hindi News - भारत के संवैधानिक इतिहास में पहली बारउपराष्ट्रपति का इस्तीफा,

राजेश जयंत: 21 जुलाई 2025 को भारत के राजनीतिक और संवैधानिक इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना घटी, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों और डॉक्टरों की सलाह का हवाला देते हुए अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंपा। यह घटना न केवल राजनीतिक सरगर्मी को बढ़ाती है, बल्कि स्वतंत्र भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं में एक नया अध्याय भी जोड़ती है।
  
धनखड़ ने इस्तीफे में लिखा कि वे स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रहे हैं और डॉक्टरों के परामर्श के अनुसार तत्काल प्रभाव से अपने दायित्व से मुक्त होना चाहते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के सहयोग और सौहार्द के लिए राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया। जगदीप धनखड़ अगस्त 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए थे और राज्यसभा के सभापति पद का दायित्व भी निभा रहे थे।  
उनके स्वास्थ्य कारणों के चलते अचानक इस्तीफा देना न केवल अप्रत्याशित था, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे के लिहाज से भी असाधारण साबित हुआ है।

इतिहास की बात करें तो, स्वतंत्र भारत में अब तक किसी उपराष्ट्रपति ने इस्तीफा नहीं दिया है और न ही किसी को संवैधानिक प्रक्रिया के तहत पद से हटाया गया है। पूर्व में कुछ उपराष्ट्रपतियों ने राष्ट्रपति बनने के लिए पद छोड़ा जरूर, परन्तु कार्यकाल अधूरा छोड़कर स्वास्थ्य वजह या स्वयं के फैसले से इस्तीफा देने का यह पहला प्रकरण है।

**खबर एक नजर में:**  
1. जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया।  
2. यह पहली बार है जब किसी भारतीय उपराष्ट्रपति ने स्वयं कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया है।  
3. अब तक जितने उपराष्ट्रपति हुए, वे या तो राष्ट्रपति बने या कार्यकाल पूरा कर हटे; कभी इस्तीफा या इंपिचमेंट नहीं हुआ।  
4. धनखड़ अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति चुने गए थे और राज्यसभा के चेयरमैन भी थे।  
5. इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67 (क) के अनुसार राष्ट्रपति को भेजा गया।
*अपनी बात*
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने भारतीय राजनीतिक परंपरा में एक ऐतिहासिक मिसाल कायम की है। संवैधानिक घटनाक्रम के लिहाज से यह घटना निश्चित रूप से लंबे समय तक चर्चा में रहेगी और सवालों के घेरे में भी रहेगी कि किस तरह देश के सर्वोच्च पदों पर रहने वालों के लिए स्वास्थ्य और व्यक्तिगत प्राथमिकताएँ कितनी महत्वपूर्ण हैं।  
अब सबकी नजरें राष्ट्रपति और देश की सरकार पर होंगी कि भविष्य की राजनीतिक दिशा क्या आकार लेती है।