आठवें वेतनमान के गठन की तैयारी और छटवें का मिल रहा ग्रह भाड़ा भत्ता

वेतनमान बदले नहीं बदला आज तक गृह भाड़ा

जबलपुर।
म.प्र. तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि म.प्र. शासन अपने कर्मचारियों को 14 वर्ष पूर्व के छटवें वेतनमान से मान से ग्रहभाडा भत्ता प्रदान कर रही है। कर्मचारियों को 7 वां वेतनमान लागू हुए दशक बीत जाने के बाद भी अन्य किसी भी प्रकार के भत्ते 7 वें वेतनमान के अनुरूप नहीं दिये जा रहे हैं, जो भत्ते प्राप्त हो रहे हैं वह वर्ष 2006 के वेतनमान के अनुसार देय हो रहे हैं जबकि केन्द्रीय कर्मचारियों को समस्त भत्ते वर्ष 2016 के अनुरूप दिये जा रहे हैं, जिससे केन्द्रीय और राज्य शासन के कर्मचारियों में भत्ता का विकराल अंतर हो गया है और राज्य शासन से प्राप्त ग्रहभाडा में तो मकान किराये पर मिलना भी असंभव है। 

मंहगाई वर्ष 2006 के बाद से चरम पर पहुंच गई है और आज तक कर्मचारियों को प्राप्त छटवें वेतनमान के भत्ते उंट के मुंह में जीरा बराबर हैं। कर्मचारी प्रतिमाह लगभग 5000 से 6000 तक मकान किराये के रूप में अपने वेतन से दे रहा है जो प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख रूपये होता है, इस मकान किराये की राशि का कर्मचारी को इनकम टैक्स में छूट भी नहीं मिलती है इसलिए शासन से ग्रहभाडा भत्ता प्राप्त न होने से और वेतन से किराये की राशि देने से कर्मचारी को दोहरा नुकसान झेलना पड़ा रहा है। शासन का कर्मचारियों के भत्ते न प्रदान करने से अत्यंत रोष व्याप्त है ।

संघ के योगेन्द्र दुबे,अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवरी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मिर्जा मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, दुर्गेश पाण्डे, वीरेन्द्र चंदेल, एस.पी. बाथरे, श्याम नारायण तिवारी, नितिन शर्मा, संतोष तिवारी, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, अशोक मेहरा, नवीन यादव, सी एन शुक्ला, चूरामन गूजर, सतीश देशमुख, इंद्रजीत मिश्रा, योगेश कपूर, पंकज जायसवाल, तुषरेन्द्र सिंह, नीरज कौरव, जवाहर लोधी, हेमन्त गौतम, अमित गौतम, अंकित चौरसिया, शैलेन्द्र दुबे, रामकृष्ण तिवारी, संदीप चौबे, रितुराज गुप्ता, अमित पटेल आदि ने माननीय मुख्यमंत्री जी को ईमेल कर मांग की है कि कर्मचारियों को लंबित मंहगाई भत्ते के साथ साथ ग्रहभाडा भत्ता भी सातवें वेतनमान के अनुरूप प्रदान किये जायें।