भारत में पत्रकारिता का एक क्रमबद्ध एवं विस्तृत इतिहास रहा है हमारे मुल्क में पत्रकारिता का आगाज एक अंग्रेज अधिकारी जेम्स आगस्टस हिकी ने 29 जनवरी 1780 को बंगाल गजट नामक प्रथम समाचार पत्र के रूप में किया और विशेषत: आजादी के दौर में हमारी पत्रकारिता एक मिशन थी जिसका उद्देश्य अंग्रेजी शासन से भारत को स्वतंत्र कराना था तथा भारत को आजादी प्राप्त होने के उपरांत धीरे -धीरे पत्रकारिता का स्वरूप बदलता गया और पत्रकारिता कब व्यवसाय के रूप में तब्दील हो गई है हमें पता ही नहीं चला. यदि सीधे शब्दों में कहा जाए तो सूचनाओं को एकत्रित करना, चयन करना तथा प्रस्तुत करना ही पत्रकारिता है और पत्रकारिता का उद्देश्य शिक्षित करना, सूचित करना, निर्देशित करना तथा भविष्य में होने वाली घटनाओं के लिए सचेत करना है.
21वीं सदी के प्रारंभ से लेकर तो ऐसा अंतर्बोध हुआ कि मुख्यधारा की मीडिया तो एक कार्यसूची के स्वरूप में खबरों को संचालित कर रही जिसे देख कर लगता है कि खबरों का भी बाजारीकरण हो गया है और पत्रकारिता में चाटुकार पत्रकार तो अपनी खबरें बेच रहे हैं जिनका उद्देश्य महज टीआरपी बढ़ाना है एवं पैसा बटोरना है.
जब मुख्यधारा की मीडिया में बुनियादी मुद्दे, क्षेत्रीय मुद्दे और छोटी-छोटी महत्वपूर्ण खबरों व घटनाओं को वरीयता मिलना मुहाल हो गया तो ऐसे वक्त में वैकल्पिक मीडिया या अल्टरनेटिव मीडिया की दरकार पैदा हुई और फिर वैकल्पिक मीडिया प्रजनित हुई जिसका आविर्भूत मुख्यधारा से अलग रूप में हुआ तथा मुख्यधारा की मीडिया से जो प्रमुख बुनियादी मुद्दे व खबरें वंचित रह जाती हैं उनका जरिया वैकल्पिक मीडिया बन गया जो क्षेत्रीय मुद्दे और खबरें तरजीह के साथ प्रस्तुत करता आ रहा है.
वहीं मौजूदा दौर में नागरिक पत्रकारिता भी आम आदमी की आवाज का जरिया बन गई है जिसमें नागरिक पत्रकार अपनी अहम भूमिका अदा कर रहे है 21वीं सदी में तो हमारे मुल्क में जनसंचार के क्षेत्र में क्रांति आ गई है और सोशल मीडिया के प्रारंभ होने से लेकर अब तक सोशल मीडिया जनसंचार का एक प्रमुख माध्यम बन गया है तथा खासकर सोशल मीडिया नागरिक पत्रकारिता के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हुआ है अब से ही नहीं वरन् जब से सोशल मीडिया प्रारंभ हुआ तब से सूचनाओं का आदान प्रदान व्यापक रूप में होने लगा है और आज सोशल मीडिया पर नागरिक पत्रकारिता की वजह से घटनाओं के दृश्य और खबरें हमें कुछ ही पलों में देखने और सुनने मिल जाती है वहीं मीडिया को भी अपनी भूमिका अदा करने के लिए सोशल मीडिया से काफी मदद मिलती आ रही है इस वक्त सोशल मीडिया पर घटनाएं एवं मुद्दे पहले देखने को मिल जाते हैं और मीडिया उन्हें बाद में कवर कर पाती हैं.
हमारे देश की आवाम मुख्यधारा की मीडिया से बहुत मुतासिर रही है तथा मुख्यधारा की मीडिया इस वक्त भी देश की अधिकांश आवाम को आकृष्ट कर रही है और हर मुद्दे पर विशेष के नाम पर अपने एजेंडे को सिद्ध करती आ रही है एक तरफ आज की मुख्यधारा की मीडिया सियासी और धार्मिक मुद्दों पर बहस छेड़ने का कार्य कर खबरों को परोस रही है.
दूसरी ओर वैकल्पिक मीडिया आवाम की बुनियादी जरूरतों और मुद्दों को तरजीह प्रदान कर रही है जो असली मायनों में वास्तविक पत्रकारिता कर अपनी विशिष्ट भूमिका अदा कर रही है आज मुख्यधारा की मीडिया की तुलना में वैकल्पिक मीडिया के मुद्दों एवं खबरों में अधिक गंभीरता नजर आ रही है आज के युग में हमारे लिए वैकल्पिक मीडिया को तरजीह देने की दरकार है क्योंकि आज यथार्थवादी पत्रकारिता में वैकल्पिक मीडिया का विस्तृत अवदान है. लेखक: सतीष भारतीय