एक तो कोरोना ऊपर से महंगाई की मार..

विवेक रैकवार (सागर मध्यप्रदेश)।
साल 2010 में एक गाना आया था सखी सइयां तोह ख़ूबई कमात है महंगाई डायन खाये जात है गाने के साथ साथ महंगाई का मुद्दा भी दो- तीन साल बहुत चला था. रामलीला मैदान में आंदोलन होते थे संसद चलो के नारे लगाए जाते थे . आज हालात कुछ अलग ही है एक तोह देश के लोग कोरोना महामारी झेल रहे है और उसी के साथ साथ महंगाई की मार भी झेल रहे एक और लोगो के धंधे पानी बंद है लोगो की नोकरी चली गयी है और जिन्हें मिली भी है वो कम बेतन पर करने मजबूर है और एक तरफ महंगाई रुकने का नाम नही ले रही, 8 साल बाद थोक महंगाई दर उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी है थोक मूल्य सूचकांक की रिपोर्ट अनुसार मार्च 2021 में थोक महंगाई दर 7.39% रही , वही बात करे 2013 की तोह थोक महंगाई दर मार्च 2013 में देश की थोक महंगाई दर 8.6 थी. बात करे बीते 3 माह की थोक महंगाई दर की तोह  फरबरी में 4.83% , मार्च में 7.39% , अप्रैल में 10.49 रही है. जरूरी बस्तुओ के दाम कुछ इस तरह बड़े है 

पिछले साल मई में सरसो तेल 90 से 100 रुपये प्रति लीटर थे आज मई 2021 में 160 से 170 रुपये लीटर पहुँच गए है, सोया तेल 100 से 110 रुपये लीटर थे आज 160 170 रुपये लीटर पहुँच गए है , अरहर दाल पिछले साल 80 से 90 रुपये किलो थी आज 100 से 110 रुपये किलो बिक रही रही है , चना दाल 60 से 70 रुपये किलो थी पिछले बर्ष आज 80 रुपये किलो है , पेट्रोल पिछले साल 76 रुपये लीटर था आज 100 रुपये लीटर है ,डीजल  पिछले  64 रुपये लीटर था आज 84 रुपये लीटर है , रसोई गैस पिछले बर्ष 600 रुपये प्रति सिलेंडर था आज 850 रुपये प्रति सिलेंडर है ऐसी बहुत सी चीजें है जिनके दाम बड़े है. लेकिन इस बार महंगाई पर कोई बात नही की जा रही राजनीतिक पार्टियां अलग ही मुद्दों का खेल खेल रही है जनता इनके बीच मे पिस रही है, जनता की कोई सुनने वाला नही है राजनेता आते है बड़े बड़े संबोधन,भाषण देते है और चले जाते है सब अपने मन की बात सुनाते है जनता के मन की बात कोई नही सुनता काश हुक्मरानों के कानों तक आम जन की दर्द व मुसीबतों की बात पहुँच पाती में यही चाहता हूँ ,जल्द से जल्द इस तरफ पर भी ध्यान दिया जाए जिससे लोगो को महंगाई से राहत मिले.