भोपाल। महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने मध्यप्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. प्रदीप व्यास ने आदेश जारी कर कहा कि ऑक्सीजन की सप्लाई केवल महाराष्ट्र में ही होगी। उद्धव ठाकरे सरकार के इस फैसले से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है क्योंकि मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली आईनॉक्स कंपनी के प्लांट महाराष्ट्र में ही लगे हैं। वहीं से लगभग 15 जिलों में सीधे और दूसरे वेंडर के जरिए ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है। इंदौर, भोपाल सहित लगभग 15 जिलों में आईनॉक्स कंपनी 130 मीट्रिक टन रोजाना ऑक्सीजन सप्लाई करती है। कोरोनावायरस महामारी के चलते ऑक्सीजन मरीजों की जिंदगी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। यदि ऑक्सीजन नहीं मिली तो मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ने लगेगी।
महाराष्ट्र सरकार का फैसला मानवता और संविधान के विरुद्ध
महाराष्ट्र सरकार द्वारा ऑक्सीजन की सप्लाई पर रोक लगाने के फैसले पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भड़क उठे हैं। उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे में ऐसा नहीं चलता है। संघीय ढांचे में राज्यों को परस्पर एक दूसरे का सहयोग करना होता है अगर राज्य ऐसा व्यवहार करेंगे तो काम कैसे चलेगा। कोरोना में ऑक्सीजन सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से इस विषय में चर्चा करेंगे।
मध्य प्रदेश सरकार, महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएगी
मंगलवार को सीएम शिवराज की अध्यक्षता में वर्चुअल कैबिनेट बैठक हुई थी। जिसमें फैसला लिया गया था कि प्रदेश में ऑक्सीजन बेड की संख्या को बढ़ाकर 3700 किया जाएगा। इसके बाद प्रदेश में ऑक्सीजन बेड की संख्या 11700 हो जाएगी। साथ ही सरकार ने ऑक्सीजन के इंतजाम के लिए विकल्प तलाशने के निर्देश भी दिए थे। मीटिंग में कहा गया कि महाराष्ट्र से ऑक्सीजन नहीं मिलने पर वहां की सरकार से बात की जाएगी। इतना ही नहीं सरकार ने कोर्ट जाने की भी बात कही थी।
ऑक्सीजन नहीं मिली तो मध्यप्रदेश में हजारों लोग मर जाएंगे
गौरतलब है कि कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ जिले में ऑक्सीजन की खपत 10 गुना तक बढ़ गई है। चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण मरीज के रक्त में ऑक्सीजन का स्तर तेजी से गिरने लगता है। कई मरीज ऐसी स्थिति में अस्पताल पहुंचते हैं जिनके रक्त में ऑक्सीजन का प्रतिशत 80 से भी कम रहता है। ज्यादातर को हाइफ्लो पर रखना पड़ता है। ऐसे मरीज जिनके रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा लगातार गिरती जाती है यदि ऑक्सीजन मिलने में दो मिनट का भी विलंब हो जाए तो स्थिति जानलेवा बन जाती है।
क्या महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है
ऑक्सीजन की सप्लाई रोकने के फैसले के कारण महाराष्ट्र सरकार संकट में आ सकती है। विशेषज्ञ इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि क्या भारत के अन्य राज्यों में रहने वाले नागरिकों की जान खतरे में डालने का फैसला करने वाली महाराष्ट्र सरकार को बर्खास्त किया जा सकता है। यदि मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की मौत हुई तो इसकी जिम्मेदार महाराष्ट्र कि शिवसेना सरकार होगी।
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