दिल्ली। इस वीकेंड दिल्ली की शायराना आवाज़ को इंडिया हैबिटैट सेंटर में होने वाले दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल में सुनें। इंडिया हैबिटैट सेंटर में 10 और 11 दिसंबर को शायरी और कविता का माहौल होगा और हर तरफ़ को होने वाली है दिल्ली पोएट्री फ़ेस्टिवल, सीजन 6 की चर्चा ही चर्चा।
दिल्लीवाले शायरी के ऐसे जश्न के लिए तैयार बैठे हैं जिसका सुरूर लम्बे वक़्त तक क़ायम रहेगा। दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल का छठा सीजन अपनी पूरी शान के साथ वापस आया है। “3 साल के इंतज़ार के बाद शायरी की सुगबुगाहट फिर से शुरू हुई है। दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल फिर से मनाया जा रहा है और पूरी शान के साथ मनाया जा रहा है। इस बार हमने शायरी और कविता की दुनिया के कुछ सबसे बड़े और मक़बूल लोगों को बुलाया है।
इंडिया हैबिटैट सेंटर में इस शानदार जश्न का सारा इंतेज़ाम करने के लिए हम डॉली सिंह और संजय अरोड़ा के शुक्रगुज़ार हैं। मेरी शुभकामनाएं इस फेस्टिवल से जुड़े तमाम लोगों के साथ हैं और मैं दोस्तों और जानने वालों से भी इस वीकेंड पर समारोह स्थल पहुँच कर इस फ़ेस्टिवल में भाग लेने की गुज़ारिश करता हूँ।" मशहूर कंपोजर, गायक, और गीतकार मदन गोपाल सिंह के इन लफ़्ज़ों से इस वीकेंड होने वाले जश्न का बख़ूबी अंदाजा लगाया जा सकता है।
कविता और शायरी का उत्सव मनाने के लिए 2013 में शुरू किये गए दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल की शान हर गुज़रते साल के साथ बढ़ रही है। इस उत्सव ने गुज़रे सालों में कई गायकों, गीतकारों, फ़िल्म- निर्माताओं और मशहूर कवियों और शायरों को एक साथ ला कर दर्शकों को सम्मोहित किया है और एक बार फिर ये फेस्टिवल इसी कारनामे को दोहराने के लिए तैयार है।
संवाद की अपनी परंपरा को जारी रखते हुए हम गीतकार और कवि मनोज मुन्तशिर और फ़िल्म निर्माता ब्रह्मानंद सिंह के बीच एक गहरी बातचीत पेश करेंगे जिसमें कविता और गीत लेखन की बारीकियों को समझने का प्रयास किया जाएगा। दिल्ली के ही दानिश इक़बाल फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कविताओं के कुछ अनछुए पहलुओं की चर्चा करेंगे।
इस महोत्सव की संथापक और निर्देशक डॉली सिंह कहती हैं ,"मुझे लगता है कविता और शायरी बदलाव की आवाज़ है। इसमें इंसान की समझ का विकास करने की क्षमता है। इसमें आकर्षण भी है और गहराई भी। हमारा समाज आज जिस उथल-पुथल का सामना कर रहा है उसे शांत करने के लिए कविता और शायरी की ज़रुरत है।"
ऐसी ही भावनाओं को व्यक्त करते हुए कत्थक की माहिर विद्वान डॉ अर्शिया सेठी ने कहा, "मुश्किल वक़्त में कवितायेँ मरहम की तरह काम करती हैं। महामारी से उबर रही दुनिया को दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल की शक्ल में इस मरहम की ज़रुरत है। मुझे इसकी ज़रूरत है।"
कभी ऐसी कामना हुई की आपकी भावनाएं आपके बिलकुल सामने जी उठें? एक ऐसी कविता की तरह जिसके शब्द आँखों के सामने दृश्यों की तरह तैरते हैं! या हंसी के वो पल आप फिर से जी सकें जिनमें आपको मज़ा आता हो! या कविता के किसी पंक्ति का असर ठीक वैसे ही उभर कर सामने आये जैसे आपने इसे महसूस किया था! अधिक से अधिक दर्शक जुड़ सकें, ये सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल में कला के अन्य रूपों को भी हम प्रस्तुत कर रहे हैं।
इस साल दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल में डूडल-एन-इमोशन के रूप में एक नया प्रयोग किया जाएगा। डूडल कलाकार सुशील भसीन कविता के सन्दर्भ में डूडल बनाने के टिप्स देंगे। इंडिया हैबिटैट सेंटर का एम्फीथियेटर अनामिका, सविता सिंह, और देवी प्रसाद मिश्र के हिंदी छंदों से गूँज उठेगा।
बात चाहे भाषा की हो, संस्कृति की हो, या भावनाओं की, भारत संगम की भूमि रही है। इस विविधता में हमारी एकता को क्षेत्रीय भाषाओं की कविता के रूप में सामने लाना दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल का उद्देश्य है। द मेल्टिंग पॉट नामक सत्र में विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में कविता पाठ कर के दिल्ली पोएट्री फ़ेस्टिवल के समावेशी होने का सन्देश दिया जाएगा।
लेखक, अनुवादक, और साहित्य की इतिहासकार रख्शंदा जलील कहती हैं, "दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल कविता और शायरी को समर्पित अपने प्रकार का पहला और इकलौता साहित्य उत्सव है। इसके समावेशी, बहुभाषी और बहुलवादी होने की बात मुझे ख़ास तौर पर पसंद है। बराबरी की