फोटो सेशन कराकर वापस लौटा जिला बनाओ प्रतिनिधि मंडल- SIHORA NEWS

जबलपुर।
लक्ष्य जिला सिहोरा के प्रतिनिधि मंडल ने शर्मिंदगी की हद पार कर दी जब उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा दो टूक जवाब दे दिया गया की जो संभव नहीं है उसकी बात मत करो। इसके बावजूद बेशर्म प्रतिनिधि मंडल द्वारा मुख्यमंत्री के साथ फोटो खिंचवा कर  सिहोरा की जनता को ना जाने क्या संदेश देने की कोशिश की। 

इस समिति के ज्यादातर सदस्य भारतीय जनता पार्टी से ही जुड़े हुए हैं और शायद इसी मानसिकता के चलते मुख्यमंत्री के साथ तस्वीर खिंचवाने के मोह से नहीं बच सके, इसके साथ ही सिहोरा को इस तरह रुसवा करने वाले मुख्यमंत्री के संगठनात्मक दल के सदस्य एवं विधायक सिहोरा को उपेक्षा भरे शब्द सुनकर ना जाने क्यों उन्हें कोई पीड़ा नहीं हुई। 

विगत 32 सप्ताह से लक्ष्य जिला सिहोरा बनाने का संकल्प लेकर मैदान में उतरे नेतृत्व विहीन समिति द्वारा लगातार जी जान से सिहोरा की जनता में प्राणवायु फूंकने का जो प्रयास किया गया वह निसंदेह सराहनीय है, किंतु लक्ष्य जिला सिहोरा समिति मैं भी प्रतीत होता है की उनमें भी निस्वार्थ भाव की कमी देखी जा सकती है क्योंकि नगर की जनता इनमें भी श्रेय लेने की होड़ महसूस कर रही है। जिसके चलते इनके द्वारा ना तो मझौली ढीमरखेड़ा बहोरीबंद के नागरिकों को प्रति मंडल में प्रतिनिधि मंडल में शामिल किया गया और ना ही उन्होंने मझौली एवं बहोरीबंद के विधायक गणों को साथ में ले जाने की जहमत तक नहीं उठाई। 

वही कम से कम इनके द्वारा पूर्व विधायक द्वय नित्य निरंजन खंपरिया एवं दिलीप दुबे को भी प्रतिनिधि मंडल में शामिल करने से वजनदारी दिखाने की जहमत नहीं उठाई गई। वही बात रही सिहोरा जिला की तो अब यह सिहोरा की जनता को ही तय करना पड़ेगा कि उमरिया, निवाड़ी, आगर सहित अनेक जिले इन्हीं माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा किस बिना पर बना दिए गए और इनके द्वारा सिहोरा के साथ यह दोहरा मापदंड क्यों अपनाया जा रहा है।

गौरतलब है कि  प्रस्तावित सिहोरा जिला की प्रक्रिया पूर्ण कर गौरव दिलाने वाले पूर्व विधायक नित्य निरंजन खंपरिया द्वारा किए गए। इस सराहनीय पहल के जनक को तो बिल्कुल ही लक्ष्य जिला सिहोरा समिति द्वारा भुला दिया गया जबकि जब यह आंदोलन शुरू करने का बीड़ा उठाया गया था तब समिति द्वारा सबसे पहले इन्हीं की अगुवाई में आंदोलन शुरू करना था जिससे क्षेत्र के जनमानस के पटल पर अपनी जन्मभूमि, कर्मभूमि के उद्धार की कूटनीतिक व्यूह रचना रची जाती तो आज इस समिति को इस तरह मुंह कि नहीं खानी पड़ती, जबकि समिति को मालूम है कि सिहोरा जिला का मुद्दा राजनैतिक है इसके बावजूद उनके द्वारा ना तो सभी राजनीतिक दलों को विश्वास में लेकर आंदोलन शुरू करने के प्रयास नहीं किए गए। 

क्या मुख्यमंत्री भी फोबिया का शिकार हो गए हैं ?
लक्ष्य जिला सिहोरा प्रतिनिधिमंडल जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने गया तो उन्होंने जिला शब्द से ही परहेज किया उन्होंने सीधे-सीधे प्रतिनिधिमंडल को कहा जो संभव नहीं हैं उस पर बात ना करें जिसको लेकर आमजन के बीच में कयास लगाए जा रहे हैं कि जब जब जिस मुख्यमंत्री ने सिहोरा जिले के संबंध में  चर्चा की सिहोरा जिले का नाम लेने के बाद वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन सका  संभवत : उन्होंने पूरी जानकारी लेने के बाद ही सिहोरा जिले के संबंध में नाम लेना उचित नहीं समझा और उक्त विषय से किनारा कर लिया।