तीसरी लहर में लॉकडाउन से बचने के उपाय- Dr. Pravesh Singh Bhadoria

मध्यप्रदेश में कोरोना का संक्रमण अपनी भयावहता पर है। प्रदेश के बड़े शहरों में प्रतिदिन 500 से अधिक नये संक्रमण निकल रहे हैं। इसके बाबजूद प्रदेश में ना ही स्कूल-कॉलेजों को भौतिक रुप से बंद करने के निर्देश जारी हुए हैं और ना ही बाजारों को लेकर कोई निर्णय हुआ है। स्थिति यह है कि राजनीतिक दल से जुड़े लोग भीड़ बढ़ाकर संक्रमण फैलाने में मददगार ही हो रहे हैं। 

हालांकि इन सबमें दोष उन अधिकारियों का भी है जिनकी जिम्मेदारी लोगों को जागरूक करने की है। उन्हें यह बताना चाहिए कि सामान्यतः यदि कोई वायरस या जीवाणु किसी एक शरीर से दूसरे शरीर में आता है तब और ज्यादा खतरनाक हो जाता है। कोरोना वायरस भी इसका अपवाद नहीं है। 

मुख्यमंत्री जी द्वारा जिले स्तर पर बनायी गयी क्राइसिस कमेटी अनुपयोगी नजर आ रही है। कोरोना एक इमरजेंसी स्थिति है अतः निर्णय का अधिकार पूरी तरह से जिला दंडाधिकारी को दिया जाना चाहिए क्योंकि किसी शहर में यदि स्थिति अनियंत्रित होती है तो उसकी जिम्मेदारी अंत में जिलादंडाधिकारी पर ही डाली जायेगी।

मुख्यमंत्री जी की भी अपनी सीमाएं हैं। उन्हें सभी को साध कर चलना होता है। लेकिन अब समय इस इमरजेंसी स्थिति से निपटने का है ना कि सभी को साध कर चलने का। प्रदेश में लॉकडाउन लगाने का सही समय आ चुका है लेकिन सरकार को दिहाड़ी मजदूर, अतिलघु, लघु दुकानदारों और उद्योगों की भी परवाह करनी होगी। इस हेतु निम्न उपाय किए जा सकते हैं-

1. किराना की दुकानों से होम डिलीवरी की सुविधाओं पर जोर दिया जाना चाहिए। 
2. होम डिलीवरी के लिए कलेक्टर या उनके प्रतिनिधि दिहाड़ी मजदूर के रुप में कार्य कर रहे लोगों को चिन्हित कर उनका उपयोग कर सकते हैं।
3. घोड़ागाड़ी, ऑटोरिक्शा और अन्य छोटे परिवहनों में कोरोना के अनुरूप सुरक्षा होनी चाहिए तभी उन्हें लॉकडाउन में भी काम करने की अनुमति मिले।
4. राजनैतिक रैलियों, सम्मान समारोह, प्रदर्शनियों पर कठोरतम रोक लगायी जानी चाहिए। 
5. मुख्यमंत्री जी स्वयं किसी भी जिले के किसी भी क्षेत्र का औचक निरीक्षण विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करें और पालन ना होने पर उस क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी पर बिना संकोच के कार्यवाही करें।
6. जिलों के बॉर्डर पर बिना आरटीपीसीआर रिपोर्ट के प्रवेश पर पूर्णतः पाबंदी रहे और यह सभी पर लागू हो।
7. अस्पतालों में कोरोना अनुरूप व्यवहार के लिए जिम्मेदारी अस्पताल अधीक्षक की तय हो और विफलता पर एक पक्षीय कार्रवाई की जाये।
8. बच्चों की प्रथम शिक्षिका उसकी मां होती है अतः 5वी के बच्चों के स्कूल पर पूर्णतः रोक लगायी जाये। साथ ही 10वी कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए मोहल्ला क्लिनिक की भांति मोहल्ला स्कूल खोले जायें जहां उस क्षेत्र के ही सबसे ज्यादा शिक्षित नागरिक का चुनाव करके उन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जाये। इस हेतु उन्हें शुल्क भी दिया जाये।
9. उच्चतर व उच्च शिक्षा के लिए ऑनलाइन पढ़ाई ही आवश्यक की जाये।
10. शराब की दुकानों पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
 
कोरोना का फिलहाल कोई उपाय नजर नहीं आ रहा है। अतः इससे अग्रेसिव होकर ही बचा जा सकता है।