नेताओ के पंडाल खचाखच: गणेश पंडाल खाली, बप्पा बोले ले लो मुगलकाल जैसा जजिया कर

शिवपुरी। बात अजीब हैं कि कोरोना के कारण गणेश जी इस बार पंडालो में नही बैठ सके,लेकिन कोरोना काल में नेताओ के पंडाल ओवरलोड हो गए। अनलॉक फेस में किराने की दुकान में भीड,दारू की दुकान पर भारी भीड लेकिन मंदिर में मुर्ति पर तक रोक,वर्षो पुरानी परंपरा टूट गई। अब क्या माने इसे। व्यापारी टैक्स देता हैं दारू से सरकार की खर्चे चलते हैं शायद मंदिर से पैसा सरकार को नही आता इस कारण मंदिरो में गणेशजी का प्रवेश रोक दिया। शायद अब बप्पा भी कह रहे हैं कि लेलो कुछ जजिया जैसा कर.....आईए इस नेताओ के पंडाल ओर गणेश पंडाल का एक्सरे करते हैं।  

बात चुभने वाली हैं। सवाल एक ओर बडा बन रहा हैं कि ऐसा शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा कि मंदिरो में गणेश की मुर्ति स्थापित करने पर सरकार ने रोक लगा दी,खतरा बडा सकता हैं कोविड 19 का........ यह बात भी सही हैं लेकिन कल जो ग्वालियर में हुआ सिंधिया के आन—बान वाले कार्यक्रम के लिए सरकार ने खुली छूट दी हैं इस कार्यक्रम में स्वयं प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह भी पधारे थे।

इस कार्यक्रम की भीड के आगे तो मंदिरो में जो भीड होती हैं वह तो बहुत सूक्ष्म होती हैं। एक ही नियम के दो कायदे। कांग्रेस तो गम में है कांग्रेसियो के टूटने का गम हैं। इसलिए इस मुददे को लेकर विरोध नही कर सके,लेकिन कभी आस्था के नाम पर वोटबैंक बढाने वाली भाजपा ने हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगो की आस्था पर कुठाराघात कर मुगल काल जैसा काम कर दिया।.

अपने ही नियम के दो कायदे निकाल दिए। सरकार कहती हैं कि सोशल मैंटेन रखना है लेकिन मंच पर सोशल मैंटेंन नही रख सकी तो नीचे बैठी भीड ने कैसे सोशल मैंटेन रखी होगी। बडा सवाल हैं।  

पब्लिक का कहना हैं कि काविड 19 में जब शराब के ठेके खुल सकते हैं मॉल खुल सकते हैं बाजार खुल सकते हैं यह पर भीड उमड रही हैं,मंदिर भी खुल रहे हैं, तो मंदिरो पर श्रीजी के प्रेवश पर रोक क्यो....शराब से सरकार को पैसा आता हैं इसलिए बाजार से व्यापारी टैक्स भरता हैं इसलिए....सब ओपन कर दिया। जब सकरार ने आदेश दिया था कि बाजार में 1 फुट उंची मुर्ति नही बनाना हैं और ना ही बेचना हैं। मार्केट में बडी प्रतिमाए आई भी नही हैं। कम—कम गणेश पूजन के लिए मंदिरो में गणेश की की छोटी सी मुर्ति रखने की अनुमति शासन को देनी थी।

हां लेकिन बप्पा के पूजन आरती से पैसा नही आता यह बात सौ फीसदी सच है। बप्पा ने भी कभी यह नही सोचा होगा कि कभी ऐसा समय भी आऐगा की मेरे मंदिर पर प्रवेश पर रोक लगा दी जाऐगा। अगर सरकार कर की भूखी हैं तो जजिया जैसा कर ले सकती हैं मेरे भक्त देने से पीछे नही हटेंगें और इस टैक्स का नाम पूजा कर रख सकते हैं।


कोविड 19 के चलते जब लोगो ने पंडाल नही लागाए,शिवपुरी में चल अचल झांकी नही निकल रही। सनातन संस्कृति के हिन्दू धर्म में गणेश ऐसे देवता हैं जिनका जन्मउत्सव 1 दिन से 10 दिन तक चलता हैं। शिवपुरी का गणेशात्सव तो शहर की पहचान हैं पूरे 10 दिन तक चलता हैं। अंनत चौहदस की रात जिस रात श्रीजी का विसर्जन होता हैं उस दिन पूरा शहर सडको पर होता हैंं। पूरा शहर दुल्हन की तरह सजाया जाता हैं। इस बार की अनंत चौदहस की रात पूरी काली होगी सडके सूनी और वीरान होगी। कोविड 19 के कारण शासन के निर्देश का पालन शहर ने अक्षर तक किया हैं।

भाजपा सरकार को ऐसे आदेश नही देने थे कि मंदिरो पर गणेश जी का प्रवेश नही होगा। हजारो साल तक अनेको अक्रमणो और अक्रंताओ को सहने वाले इस हिन्दू धर्म की आस्था पर कुठाराघात किया गया हैं और उसी भाजपा ने ग्वालियर में नेताओ का थोक में मेला लगाया हैं। समझ से परे हैं सरकार ने नियम बनाया और उसी ने तोड दिया। या तो सरकार टैक्स चाहती है या आने वाले चुनाव में चुनाव जीतना और अपनी सरकार का सैफ करना।

सरकार सैफ कितनी होगी यह तो भविष्य की गर्त में है। हॉ विघ्नहर्ता की पूजा अर्चना में सरकार ने विघ्न अवश्य पैदा किया हैं अब सरकार बनाने में भाजपा को कितना विघ्न जनमानस करेंगा यह भी भविष्य की गर्त में हैं। अब बात की करे तो सरकार को टैक्स चाहिए जो हिन्दू ने जब मुगल काल में अपनी धार्मिक आस्थाओ और धर्म को बचाने के लिए टैक्स दिया था तो अब भाजपा के इस काल में नही दे सकती हैं क्या.....सवाल बडा हैं

क्या था जजिया कर
जज़िया ( Jizya or Jizyah ) एक प्रकार का धार्मिक कर है। इसे मुस्लिम राज्य में रहने वाली गैर मुस्लिम जनता से बसूल किया जाता है। क्योंकि इस्लामिक राज्य में सिर्फ मुस्लिमों को ही रहने की इजाजत थी यदि इस धर्म के सिवाय कोई और रहेगा तो उसे धार्मिक कर देना होगा। इसे देने के बाद गैर मुस्लिम लोग इस्लामिक राज्य में अपने धर्म का पालन कर सकते थे।


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