चिटंफड संचालकों पर सख्त प्रशासन, विनोद पुरी ने दर्ज कराया पहला मामला / Shivpuri News

शिवपुरी। अभी हाल ही में शिवपुरी कलेक्टर अनुग्रह पी ने फर्जी चिटफंड कंपनीयों पर लगाम लगाने के लिए एसडीएम को नियुक्ति किया है। जिसमें जो भी इन चिटफंड कंपनीयों से प्रताणित है वह अपने वयान दर्ज करने बुलाए है। इसी के चलते पहला मामला कोतवाली क्षेत्र में दर्ज हुआ है।

जहां कमांडो गन हाऊस झांसी तिराहे के पास स्थित नव केतन एग्रीकल्चर एण्ड मार्केटिंग को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के संस्थापक दिनेश कुमार उर्फ डीके सिंह और दो अन्य साथियों ने मिलकर कई लोगों से 6 वर्ष में राशि दुगनी करने का लालच देकर लाखों रूपए की ठगी कर ली। जिसकी शिकायत एक उपभोक्ता ने कोतवाली पहुंचकर दर्ज कराई है। पुलिस ने कम्पनी के मैनेजर दिनेश कुमार उर्फ डीके सिंह व दो अन्य साथियों के खिलाफ भादवि की धारा 420, 6(1) मध्यप्रदेश निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है।

फरियादी विनोदपुरी पुत्र महरवानपुरी गोस्वामी निवासी महल के पीछे विजयपुरम कॉलोनी न जनसुनवाई में कलेक्टर को एक शिकायती आवेदन देकर चिटफंड कम्पनी पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी, उस समय उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। बाद में उन्होंने जनवरी माह में कोतवाली में एक शिकायती आवेदन पुन: दिया। जिस पर पुलिस ने जांच की और मामला दर्ज कर लिया।

पुलिस ने एफआईआर में उल्लेख किया है कि दिनेश कुमार सिंह निवासी ग्वालियर ने नव केतन एग्रीकल्चर एण्ड मार्केटिंग कॉपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के नाम से एक कार्यालय झांसी तिराहा कमांडों गन हाऊस के पास खोला। जिसमें उसने एजेंटों के माध्यम से शहर के भोले भाले लोगों को 6 वर्ष में राशि दुगनी करने का झांसा दिया और कई लोगों की एफडीआर की लेकिन दो वर्ष बाद ही उसने अपना कार्यालय बंद कर दिया।

इसके बाद वह सिरसौद के ग्राम भगौदा में स्थित अपने कृषि फार्म पर निवास करने लगा। जहां से वह यह चिटफंड कम्पनी संचालित कर रहा है और उपभोक्ताओं की जमा राशि वापिस नहीं कर रहा है। कई लोगों की पॉलिसी परिपक्व हो गई हैं। लेकिन इसके बाद भी उसने किसी को राशि का भुगतान नहीं किया। आरोपी ने लोगों के मोबाइल भी उठाना बंद कर दिया है। विनोद पुरी ने कम्पनी में 50 हजार रूपए जमा कराए थे।

जबकि उसके साथ अनिकेत आदिवासी 10 हजार रूपए, सोमवरन सिंह गुर्जर 20 हजार रूपए, जयकुंवर आदिवासी 70 हजार रूपए, संतोष पुरी 35 हजार रूपए, रामसिंह यादव 1 लाख रूपए, सुनील माथुर 30 हजार रूपए, रेणु गोस्वामी 15 हजार रूपए, प्रशांत ओझा 22500 रूपए, नेहा ओझा 22 हजार, कल्ला ओझा 20 हजार, शारदा ओझा 10 हजार, आशा जैन 55 हजार, नरेश ओझा 10 हजार, महेश गुप्ता 30 हजार, आशा गुप्ता 10 हजार रूपए सहित अनेकों उपभोक्ताओं ने राशि जमा कराई थी और इन सभी दिसंबर 2019 में शिकायत की थी। लेकिन कार्यवाही न होने के चलते पुलिस ने आवेदन लेकर मामले की जांच पड़ताल के बाद एफआईआर दर्ज कर ली।


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