कोरोना वायरस: चौपट अर्थव्यवस्था और रोजगार

अंकित पचौरी। कोरोना वायरस महामारी का असर स्वास्थ्य के साथ अब अर्थव्यवस्था और रोजगार पर पड़ रहा है, दुनिया में रोजगार पर संकट आने बाला है। भारत तो पहले ही बेरोजगारी से ग्रसित था, मगर अब हालात और भी गंभीर होने बाले है। संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में लगभग 2.5 लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं! विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी नहीं, महामंदी की चपेट में आ सकती है। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को 3.6 लाख करोड़ डॉलर का झटका लग सकता है।

ऐसे में हमें इस संकट से बचने के लिए श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने, अर्थव्यवस्था को मदद, रोजगार एवं आमदनी बनाए रखने में सहायता के लिए तत्काल बड़े स्तर पर संयुक्त उपाय करने होंगे। साथ ही लघु और धीर्घ उद्योगों के लिए वित्तीय और टेक्स छूट जैसी सुविधाएं मुहैया करानी होगी। इसकी पुष्टी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट भी करती है। उसने एक अध्ययन में कहा है कि वैश्विक स्तर पर एक समन्वित नीति बनती है तो नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

भारत में कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या हर दिन बढ़ रही है, भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी कोरोना का काफी बड़ा और गंभीर प्रभाव पड़ने लगा है। हालांकि सरकार कोरोना से निपटने और रोकथाम के हर संभव प्रयास कर रही है। भारत में रोजगार और बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर राजनीति भी की जारही है, बिपक्ष सरकार को घेरने का काम कर रहा है। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यम के मुताबिक रोजगार के मोर्चे पर आने वाले दिन काफी महत्वपूर्ण हैं। अप्रैल बीत जाने के बाद ही हम कोरोना संकट का सही-सही आकलन कर सकते हैं।

अगर दुनिया भर में रोजगार में कमी आएगी तो इसका असर भारत पर भी पड़ना तय है। कोरोना के आर्थिक दुष्प्रभाव के कारण सिर्फ चीन में जनवरी, फरवरी में 50 लाख लोगों की नौकरी चली गई। अब ऐसे प्रतिकूल समय में महामारी और आर्थिक संकट से, देश कैसे उभरेगा इसकी चिंता में सरकार डूबी है। वहीं सभी एक्सपर्ट को काम पर भी लगा दिया गया है।