BHOPAL MEMORIAL HOSPITAL एवं AIIMS भोपाल का मर्जर, गैस पीड़ितों लंबित मांग पूरी हुई

भोपाल। भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति की संयोजक साधना कर्णिक  प्रधान ने आज जारी विज्ञप्ति में बताया कि भोपाल गैस पीड़ितों की लाइफ लाइन मेमोरियल अस्पताल एवं एम्स भोपाल  के मर्जर के विषय पर  माननीय रामगोपाल यादव की अध्यक्षता में गठित स्वास्थ्य पर गठित केंद्रीय संसदीय ने समिति ने अपनी रिपोर्ट संसद एवं राज्यसभा में प्रस्तुत कर दी है। केंद्र सरकार द्वारा ईस  रिपोर्ट की  सिफारिश मानने से भोपाल मेमोरियल अस्पताल केंद्रीय महत्व के संस्थानों की श्रेणी में आ जायेगा।

भोपाल गैस पीड़ितों ने संसदीय समिति की रिपोर्ट का स्वागत किया है। एम्स भोपाल एवं भोपाल मेमोरियल के मर्जर की मांग काफी पुरानी है। लंबे समय से गैस पीड़ितों की मर्जर की मांग को आईसीएमआर , नीति आयोग , डीएचआर एवं दोनों अस्पतालों के प्रतिनिधि पूर्व में ही मानकर मर्जर की सिफारिश कर चुके है।

साधना कर्णिक ने बताया कि गैस पीड़ितों के जीवन से जुड़ी इस मांग को ही में  संसदीय समिति के भोपाल दौरे के  दौरान  गैस पीड़ित प्रतिनिधि के रूप में उन्होंने एवं दोनों अस्पतालों के प्रतिनिधियों ने  चर्चा कर  संसदीय समिति से  मर्जर की मांग रखी थी।

ज्ञात हो कि जुलाई 2018 में समिति ने अपने दौरे के दौरान एम्स भोपाल के साथ साथ बीएमएचआरसी का भी मुआयना किया था। इस दौरान समिति ने बीएमएचआरसी में कई सारी इलाज संबंधी अनियमितताएं पाई जिन से गैस पीड़ितों व अन्य दूसरे मरीजों को असुविधाएं हो रही थी। समिति ने पाया की बीएमएचआरसी का इंफ्रास्ट्रक्चर  अच्छा होने के बाद भी यहां डॉक्टरों की कमी के चलते सामान्य मरीजों को भी समय से न तो इलाज मिल पा रहा है और ना ही दवाइयां मिल पा रही है। डी एच आर की तमाम कोशिशों कोशिशों के बावजूद भीम एचआरसी का प्रबंधन नए डॉक्टरों को भर्ती करने में असफल हो रहा है जिसके चलते मरीजों को ना तो ठीक तरह से जांच हो पा रही है और ना ही उनको उपयुक्त इलाज मिल पा रहा है। इन सभी बातों के चलते समिति ने अपनी सभी सिफारिशों को एक लिखित रूप देते हुए सर्व समिति से एक रिपोर्ट तैयार की।

रिपोर्ट को बनाने में डी एच आर के आला अधिकारियों, बीएमएचआरसी के डायरेक्टर एम्स रायपुर के डायरेक्टर, एम्स भोपाल के डायरेक्टर, और स्वास्थ्य मंत्रालय और कार्य से संबंधित मंत्रियों से भी सलाह मशवरा भी किया गया। 28 अगस्त 2018 को डी एच आर के सचिव प्रोफेसर बलराम भार्गव ने भी अपनी सहमति इस मर्जर की तरफ जताई और साथ ही डायरेक्टर बीएमएचआरसी ने भी अपनी सहमति दी।

समिति ने  कहा कि प्रोफेसर रामगोपाल यादव इस भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय  द्वारा गठित संसदीय समिति के चेयरमैन है। समिति की मर्जर की सिफारिशें इस प्रकार है---
1. मर्जर से दोनों ही संस्थानों में उपलब्ध संसाधनों और कर्मचारियों का बेहतरीन उपयोग अच्छे इलाज़ के लिए किया जा सकता है।
2. एम्स भोपाल और बी एम एचआरसी में उपलब्ध शिक्षित और अनुभवी फैकल्टी का इस्तेमाल बेहतरीन इलाज मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान के लिए उपयुक्त हो सकता है। 
3. दोनों ही संस्थानों को जो अलग अलग वित्तीय बजट सालाना मिलता है उसका भी भरपूर उपयोग किया जा सकेगा।
4. इस मर्जर से सभी रोगियों को और विशेषकर भोपाल गैस पीड़ितों को और उन पर आश्रित परिवार जनों को बेहतरीन इलाज दिया जा सकेगा। 
5. इस रिपोर्ट में बीएमएचआरसी के सभी कर्मचारियों और विशेषकर डॉक्टरों के सेवा संबंधी सभी हितों को ध्यान में रखने का भी गुजारिश की गई है। 

6.इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि भारत सरकार इस मर्जर पर अपनी मुहर लगाती है तो बीएमएचआरसी अस्पताल, एम्स भोपाल के लिए एक कांस्टीट्यूएंट यूनिट की तरह काम करेगा जिसका निदेशक, सीईओ, डिप्टी डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन, फाइनेंशियल एडवाइजर, सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर, यह सभी एम्स भोपाल द्वारा संचालित होंगे।
7.इस संसदीय समिति की रिपोर्ट में, समिति ने यह गुजारिश भी की है कि इस मर्जर को लेकर जो भी प्रशासनिक रुकावटें आएंगी  उसको जल्द से जल्द दूर किया जाए।  
8.कमेटी ने बीएमएचआरसी के डॉक्टरों के भर्ती नियम को लेकर कहा कि चूंकि बी एम एच आर सी में  डॉक्टरों की कमी है, उसको देखते हुए उनके सभी विशेष अधिकारों को प्रोटेक्ट किया जाए।
9.अब कोई भी नई भर्ती भूल मेमोरियल अस्पताल में पुराने नियम अनुसार न की जाए ऐसी हिदायत भी दी गई है । 
10. कमेटी ने यह भी सिफारिश की है कि इस मर्जर की क्रिया में 3 महीनों के अंतर्गत ही सारा काम कर दिया जाए।
वर्तमान स्थिति : एम्स में कुल स्वीकृत बेड संख्या-960, कुल चालू - 511. 
आने वाले मरीजों की संख्या दैनिक: 1924
साल भर भर्ती मरीजों की संख्या : 9212 (30 सितंबर 2018 तक)
अस्पताल का संचालन : 26 जनवरी 2013 से।

बीएमएचआरसी : कुल बेड 350। 
महीने में आने वाले मरीजों की संख्या : औसतन 60 हज़ार। 
महीने में भर्ती हुए मरीजों की संख्या: औसतन 900। 
संचालन : सितंबर 2015 से डी एच आर  के अधीन

साधना कर्णिक ने गैस पीड़ितों के जीवन के हित मे मर्जर की प्रक्रिया समयबद्ध रूप से पूरा करने की मांग की है।