इस तरह से सवाल अक्सर सामने आते रहते हैं। सवाल एक होता है लेकिन पूछने वाले 2 तरह के होते हैं। मैं यहां दोनों तरह के युवाओं को जवाब दूंगा। कृपया सबसे पहले यह समझ लें कि टीचिंग और मार्केटिंग के बीच कोई तालमेल ही नहीं है। दोनों का नेचर अलग-अलग है। अत: दोनों एक दूसरे के विकल्प के रूप में नहीं लिए जा सकते।
teaching and marketing में सफलता की संभावनाएं क्या हैं
यदि आप टीचर बनते हैं तो सफलता की अपार संभावनाए हैं। आप स्कूल के प्रिंसिपल बन सकते हैं। आप कॉलेज के प्रोफेसर हो सकते हैं। कॉलेज के प्राचार्य हो सकते हैं। यूनिवर्सिटी के डीन हो सकते हैं और आपकी अपनी यूनिवर्सिटी हो सकती है। आप तो जानते ही हैं कि भारत में एक शिक्षक देश का राष्ट्रपति बना था।
यदि आप मार्केटिंग को चुनते हैं तो बताने की जरूरत नहीं कि यहां sky is the limit है। मार्केटिंग जॉब चुनाव ही केवल अनुभव लेने के लिए किया जाता है। हर प्रोफेशनल का एक सपना होता है कि एक दिन उसकी अपनी कंपनी होगी। दुनिया भर में जितनी भी कंपनियां चल रहीं हैं, आधे से ज्यादा के मालिकों ने लम्बे समय तक मार्केटिंग की जॉब की है।
teaching and marketing में आसान नौकरी कौन सी है
यदि आप कम परिश्रम, कम तनाव और कम से कम वेतन मेें काम चला सकते हैं तो निश्चित रूप से टीचिंग आपके लिए सबसे अच्छा होगा। यहां खतरे कम है। बच्चे आपकी शिकायत कम करते हैं। कार्य की अवधि कम है और परिश्रम भी कम है। यदि आप रट्टा मारकर पास हो सकते हैं तो वही रट्टा मारकर पढ़ा भी सकते हैं। भारत सरकार के नियमानुसार प्राइमरी के टीचर के लिए ग्रेजुएशन और इससे अधिक के लिए बीएड/डीएड अनिवार्य है। कॉलेज के लिए अब पीएचडी अनिवार्य किया गया है।