GWALIOR: हाईकोर्ट की युगल पीठ ने अवैध होर्डिंग्स के खिलाफ कार्रवाई बंद करने को लेकर नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने निगम के अधिवक्ता से कहा कि सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेने वाली एजेंसियों की होर्डिंग्स की स्थिति स्पष्ट कर दी थी, फिर कार्रवाई क्यों बंद कर दी है। इसको लेकर निगम के अधिवक्ता ने शपथ पत्र पेश कर कोर्ट ने बताया कि शहर में सभी होर्डिंग्स अवैध हैं। किसी भी एजेंसी के पास होर्डिंग्स लगाने की अनुमति नहीं है। इनके खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। कोर्ट ने 18 जून तक निगम से पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट मांगी है।
सुमन सिंह सिकरवार ने अवैध होर्डिंग्स को लेकर जनहित याचिका दायर की है। हाईकोर्ट के आदेश पर शहर में अवैध होर्डिग्स हटाए जा रहे हैं। इस कार्रवाई को विज्ञापन एजेंसियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने होर्डिंग्स की कार्रवाई पर रोक लगा दी। इसके बाद निगम ने शहर में अभियान बंद कर दिया। जब इस मामले की 24 अप्रैल को हाईकोर्ट ने स्टे लेने वाली एजेंसी की स्थिति स्पष्ट कर दी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि 8 एजेंसियों के होर्डिंग्स को लोकेशन सहित चिन्हित किया जाए, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिला है। चिन्हित करने की रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की जाए। स्टे लेने वाली एजेंसी की होर्डिंग्स पर कार्रवाई नहीं की जाए। लेकिन शेष होर्डिंग्स पर नगर निगम अपनी कार्रवाई जारी रखे।
नगर निगम को स्टे लेने वाली एजेंसियों की होर्डिंग्स चिन्हित कर कोर्ट में जानकारी पेश करनी थी, जिसको लेकर निगम ने शपथ पत्र पेश कर कहा कि सभी होर्डिंग्स अवैध हैं। हाईकोर्ट ने कार्रवाई जारी रखने का आदेश नगर निगम को दिया है। हाईकोर्ट के आदेश पर होर्डिग्स स्ट्रक्चर सहित हटाई जा रही थी। एक बार हटाने के बाद उन्हें लगाना संभव नहीं था। कुछ एजेंसियों ने हाईकोर्ट में आवेदन पेश किया था, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।