कौन भाजपा का कार्यकर्ता है और कौन नहीं, पता ही नहीं चल रहा- my opinion

डॉ प्रवेश सिंह भदौरिया। 
आपके घर में कौन-कौन है यदि इसका पता ही आपको ना हो तो घर को सुरक्षित कैसे रखा जा सकता है? यही हाल आजकल मध्यप्रदेश भाजपा का है। असल में भाजपा के "सिंधियामयी" होने से कौन अब भाजपा का कार्यकर्ता है और कौन नहीं इसका पता किसी को भी नहीं है। हास्यास्पद तथ्य यह है कि 4 महीने से जेल में बंद व्यक्ति को पदाधिकारी बनाने तक तो ठीक है लेकिन कांग्रेसी विधायक को ही पद दे दिया जाये तो फिर संगठन की कुर्सी पर काबिज व्यक्तियों की मेहनत और योग्यता समझी जा सकती है। 

वास्तविकता में अब मध्यप्रदेश भाजपा संगठन का एकमात्र कार्य सत्ता के नजदीक रहना रह गया है। कितने ही पदाधिकारी आज जमीनी कार्यकर्ताओं से वार्तालाप कर रहे हैं? सभी की पीआरओ टीम नियुक्त है जो सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती है। अनेक पुराने संगठन से जुड़े लोग इस पर चिंता भी व्यक्त करते हैं कि जो संगठन पहले बसों-ट्रेनों के सफर से सत्ता की कमियों और कार्यकर्ताओं से वार्ता के लिए पहुंचते थे वे आज पीआरओ के माध्यम से पहले दौरा कार्यक्रम डलवाते हैं और अनेक लोग तो आने-जाने के लिए लक्जरी गाड़ियों की डिमांड भी करते हैं। 

अब ऐसे माहौल में फिर कहां ही पता चलेगा कि कौन कांग्रेस का है और कौन भाजपा का ? और यदि कोई कांग्रेस के समारोह में लगातार शामिल भी रहा हो (लिस्ट जारी होने के दिन भी) उसे शाम तक लालच दिखाकर अपनी पार्टी में ले ही आयेंगे। यही तो नयी भाजपा है, यही तो नया संगठन है।