करैरा। चुनाव से पहले पब्लिक को सपने दिखाए जाते हैं। कोई भी राजनैतिक दल हो वह अपकी समस्या खत्म करने का वादा करता हैं। चुनाव के वाद दल भी भूल जाता हैं और वादे करने वाला प्रत्याशी। लेकिन इस बार ऐसा नही होगा,पब्लिक का मूड बदला रहा हैं और वह दोनो दलो को अपने वादे याद दिला रही हैं। अब इनके वोट वही लेगा जो चुनाव से पहले इनकी समस्या को पूर्ण करेगा।
करैरा अभ्यारण्य क्षेत्र में 32 गांव अपने विकास के लिए जंग कर रहे हैं। बताया जा रहा हैं कि इन गांवो के लोग अब कांग्रेस ना ही भाजपा वालो के झूठे वादो में आने वाली नही हैं। वह उनको पिछले सभी वादे याद दिलाएंगी जो उन्होंने हर बार के चुनाव में क्षेत्र के किसानों से किए। इसी को लेकर रविवार को सोन चिरैया अभयारण्य मुक्ति मोर्चा करैरा ने ग्राम करही के इमली बाली माता मंदिर पर दूसरी बार एक विशाल बैठक का आयोजन कर अहम निर्णय लिए।
सोन चिरैया अभयारण्य मुक्ति मोर्चा के सदस्यों ने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जो वादों से नहीं, बल्कि धरातल पर खरे उतरकर विरोध जताने का समय है। जब तक हम अपने हक की लड़ाई नहीं लड़ेंगे, तब तक यह 32 गांव की समस्या खत्म होने वाली नहीं। जो भी दल उपचुनाव में वोट के लिए आएगा हम उनको पूर्व के सभी वादे याद दिलाएंगे जो उन्होंने हर बार चुनाव में किए।
सोन चिरैया अभयारण्य क्षेत्र करैरा में आने विाले विधानसभा के 32 गांव के किसान अपनी जमीन के मालिक होने के बाद भी न बेचते है और न ही खरीद सकते। इस अभयारण्य के कारण ही करैरा भितरवार रोड पर पिछले 5 सालों से नहीं बन पा रही है। इसके चलते करैरा विधानसभा के सैकड़ों गांव के लोग कई सुविधाओं से महरूम बने हैं। इसी के चलते आज सोन चिरैया अभयारण्य मुक्ति मोर्चा करैरा ने ग्राम करही के इमली वाली माता मंदिर पर दूसरी बार बैठक का आयोजन किया।
इस बैठक में मौजूद किसानों ने एक ही मांग रखी कि हमारे गांव को अभयारण्य से मुक्त किया जाए, जिसकी वजह से पिछले 25 सालों से हमारे क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है। इन सब के जिम्मेदार हमारे क्षेत्र से चुने गए जनप्रतिनिधि हैं, जो हर बार किसानों को अभयारण्य को हटाने के वादे तो करते हैं। जैसे ही चुनाव खत्म अभयारण्य का मुद्दा खत्म इन नेताओं को केवल चुनाव के समय ही इस विकराल समस्या का ध्यान आता है।
ग्राम करही में जुटे किसानों ने कहा है कि इस बार के उप चुनाव में भाजपा कांग्रेस के झूठे वादों में आने वाली नहीं सबसे पहले 32 गांव को अभयारण्य से मुक्त कराया जाए। इसके बाद ही आगे कोई बात होगी, इस बार यह भी नहीं सुनेंगे कि यह केंद्र सरकार का मामला है।
मामला सुप्रीम कोर्ट में है, डीनोटिफिकेशन जारी हो गया, हर बार के चुनाव में नया कोई बहाना ऐसा कब तक चलेगा। इस दंश के कारण ही आज करैरा विधानसभा के 32 गांव विकास से कोसों दूर पहुंच गए हैं।
इस समस्या को लेकर ग्राम करही में एकत्रित हुए ग्राम करही से श्रीनिवास पटेल, गोपाल गुर्जर, अशोक रावत, कृष्ण पाल सिंह वेस, नरेंद्र सिंह सोलंकी, राजेन्द्र जाटव सतेंद्र सिंह, सोनूसिंह रावत, विनोद पांडेय, पुरुषोत्तम रावत, आनंद मुद्गल, जितेंद्र रावत, श्रीनिवास रावत, दुर्ग सिंह, मेघ सिंह, रणवीर सिंह, भीकम सिंह, चंद्रभान सिंह रावत, महेश रावत, माजिद खान, श्यामसुंदर, जनवेद सिंह, नरेंद्र सिंह, विक्रम सिंह रावत, आशीष सेन, मोहन रावत आदि किसान इस बैठक में मौजूद रहे।
करैरा अभ्यारण्य क्षेत्र में 32 गांव अपने विकास के लिए जंग कर रहे हैं। बताया जा रहा हैं कि इन गांवो के लोग अब कांग्रेस ना ही भाजपा वालो के झूठे वादो में आने वाली नही हैं। वह उनको पिछले सभी वादे याद दिलाएंगी जो उन्होंने हर बार के चुनाव में क्षेत्र के किसानों से किए। इसी को लेकर रविवार को सोन चिरैया अभयारण्य मुक्ति मोर्चा करैरा ने ग्राम करही के इमली बाली माता मंदिर पर दूसरी बार एक विशाल बैठक का आयोजन कर अहम निर्णय लिए।
सोन चिरैया अभयारण्य मुक्ति मोर्चा के सदस्यों ने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जो वादों से नहीं, बल्कि धरातल पर खरे उतरकर विरोध जताने का समय है। जब तक हम अपने हक की लड़ाई नहीं लड़ेंगे, तब तक यह 32 गांव की समस्या खत्म होने वाली नहीं। जो भी दल उपचुनाव में वोट के लिए आएगा हम उनको पूर्व के सभी वादे याद दिलाएंगे जो उन्होंने हर बार चुनाव में किए।
सोन चिरैया अभयारण्य क्षेत्र करैरा में आने विाले विधानसभा के 32 गांव के किसान अपनी जमीन के मालिक होने के बाद भी न बेचते है और न ही खरीद सकते। इस अभयारण्य के कारण ही करैरा भितरवार रोड पर पिछले 5 सालों से नहीं बन पा रही है। इसके चलते करैरा विधानसभा के सैकड़ों गांव के लोग कई सुविधाओं से महरूम बने हैं। इसी के चलते आज सोन चिरैया अभयारण्य मुक्ति मोर्चा करैरा ने ग्राम करही के इमली वाली माता मंदिर पर दूसरी बार बैठक का आयोजन किया।
इस बैठक में मौजूद किसानों ने एक ही मांग रखी कि हमारे गांव को अभयारण्य से मुक्त किया जाए, जिसकी वजह से पिछले 25 सालों से हमारे क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है। इन सब के जिम्मेदार हमारे क्षेत्र से चुने गए जनप्रतिनिधि हैं, जो हर बार किसानों को अभयारण्य को हटाने के वादे तो करते हैं। जैसे ही चुनाव खत्म अभयारण्य का मुद्दा खत्म इन नेताओं को केवल चुनाव के समय ही इस विकराल समस्या का ध्यान आता है।
ग्राम करही में जुटे किसानों ने कहा है कि इस बार के उप चुनाव में भाजपा कांग्रेस के झूठे वादों में आने वाली नहीं सबसे पहले 32 गांव को अभयारण्य से मुक्त कराया जाए। इसके बाद ही आगे कोई बात होगी, इस बार यह भी नहीं सुनेंगे कि यह केंद्र सरकार का मामला है।
मामला सुप्रीम कोर्ट में है, डीनोटिफिकेशन जारी हो गया, हर बार के चुनाव में नया कोई बहाना ऐसा कब तक चलेगा। इस दंश के कारण ही आज करैरा विधानसभा के 32 गांव विकास से कोसों दूर पहुंच गए हैं।
इस समस्या को लेकर ग्राम करही में एकत्रित हुए ग्राम करही से श्रीनिवास पटेल, गोपाल गुर्जर, अशोक रावत, कृष्ण पाल सिंह वेस, नरेंद्र सिंह सोलंकी, राजेन्द्र जाटव सतेंद्र सिंह, सोनूसिंह रावत, विनोद पांडेय, पुरुषोत्तम रावत, आनंद मुद्गल, जितेंद्र रावत, श्रीनिवास रावत, दुर्ग सिंह, मेघ सिंह, रणवीर सिंह, भीकम सिंह, चंद्रभान सिंह रावत, महेश रावत, माजिद खान, श्यामसुंदर, जनवेद सिंह, नरेंद्र सिंह, विक्रम सिंह रावत, आशीष सेन, मोहन रावत आदि किसान इस बैठक में मौजूद रहे।
from Shivpuri Samachar, Shivpuri News, Shivpuri News Today, shivpuri Video https://ift.tt/2VadNaB